पक्षी और बादल , ये भगवान के डाकिए हैं , जो एक महादेश से दूसरे महादेश को जाते हैं । हम तो समझ नहीं पाते हैं मगर उनकी लाई चिट्ठियाँ पेड़ , पौधे , पानी और पहाड़ बाँचते हैं ।
हम तो केवल यह आँकते हैं कि एक देश की धरती दूसरे देश को सुगंध भेजती है । और वह सौरभ हवा में तैरते हुए पक्षियों की पाँखों पर तिरता है । और एक देश का भाप दूसरे देश में पानी बनकर गिरता है ।
-रामधारी सिंह ' दिनकर '
meaning of the poem
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इस कविता में “दिनकर” जी बताते है की पक्षी और बादल भगवान के डाकिए हैं जो एक विशाल देश का सन्देश लेकर दूसरे विशाल देश को जाते हैं। उनके लाये पत्र हम नहीं समझ पाते मगर पेड़-पौधे, जल और पहाड़ पढ़ लेते हैं। यहाँ कवि ने बादलों को हवा में और पक्षियों को पंखो पर तैरते दिखाया है। वे कहते है की एक देश की सुगन्धित हवा दूसरे देश पक्षियों के पंखों द्वारा पहुँचती है। इसी प्रकार बादलों के द्वारा एक देश का भाप दूसरे देश में वर्षा बनकर गिरता है।
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