पक्षी और बादल यह डाकिया परंपरा की ओर से किस तरह भिन्न होते हैं
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कवि ने पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए इसलिए कहा है क्योंकि जिस प्रकार डाकिए संदेश लाने का काम करते हैं, उसी प्रकार पक्षी और बादल भगवान का संदेश हम तक पहुँचाते हैं। उनके लाए संदेश को हम भले ही न समझ पाए, पर पेड़, पौधे, पानी और पहाड़ उसे भली प्रकार पढ़-समझ लेतें हैं।
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पक्षी और बादल यह डाकिया परंपरा की ओर से यह तरह भिन्न होते हैं:
- हम तो पढ़ नहीं पाते पर पक्षी जो डाकिया बनके एक भूमि का वातावरण दूसरी भूमि तक ले जाता है वह पेड़ पौधे पानी बादल पर्वत और आदि सुन सकते हैं।
और बादल एक भूमि का पानी लेकर दूसरी भूमि पर बरसाती है।
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