पक्षी पंखों की होरा होरी कहां करना चाहते हैं
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क्षितिज से मिलने की इच्छा लिए जब पक्षी उड़ने के लिए पंख फैलाते हैं तो दोनों पंखों में एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ सी लग जाती है इस होड़ में यादों में अपने प्राण त्याग देते या है या थक कर बैठ जाते हैं जब
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पक्षी पंखों की होरा होरी सीमाहीन क्षितिज में करना चाहते हैं।
- कविता हम पंछी उन्मुक्त गगन के से यह प्रश्न लिया गया है जिसके कवि है शिव मंगल सिंह सुमन।।
- कवि इस कविता में पंछियों की इच्छा बता रहे है कि से खुले आकाश में पंख फैलाकर उड़ना चाहते है।
- पक्षी कहते गई की वे अपने पंखों की उस सीमाहीन क्षितिज के साथ स्पर्धा करना चाहते है। हम इस सीमाहीन क्षितिज तक पहुंच जाते है। यदि नहीं पहुंचते तो हम अपने प्राण त्याग देते है।
- क्षितिज उस स्थान को कहते है जहां हमें धरती व आकाश मिले हुए दिखाई देते है।
- हमें इन पक्षियों के जीवन से सीख लेनी चाहिए। ये किसी भी बंधन में नहीं पड़ते। उन्मुक्त होकर घूमते है। हम मनुष्यों की तरह कल की चिंता नहीं करते।
#SPJ3
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