पक्षियों की घटती संख्या पर निबंध
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आज के इस आधुनिक युग में हम विकास की राह पर इतने तेजी से बढ़ रहे हैं। कि हम हमारे वातावरण को कई प्रकार से नुकसान पहुंचा रहे हैं। जिससे हमारे पर्यावरण मैं कई तरह की उथल-पुथल मच गई है। जो पक्षी हमारे पर्यावरण के लिए आवश्यक हैं। उनकी संख्या में निरंतर कमी आती जा रही है। यदि हम आज से कुछ समय पहले देखे तो हमारा वातावरण कितना स्वच्छता था। एवं हमारे चारों तरफ पक्षियों की चह चाहट सुनाई देती थी।
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लेकिन आज स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है। कि हमें पक्षियों को देखने के लिए चिड़ियाघर की ओर रुख करना पड़ता है। आज के इस युग मैं पक्षियों का जीवन व्यतीत करना दूभर हो गया है। क्योंकि पक्षियों को रहने के लिए ना तो अब पेड़ बचे हैं। और ना ही खाने के लिए खाना मिल पाता है। स्थिति तो तब और गंभीर हो जाती है। जब गर्मियों के दिनों में पक्षी भूख एवं प्यास की वजह से मारे जाते हैं। हम सभी का कर्तव्य है। कि हम इस बेजुबान पक्षी की रक्षा करें और हमें अपने घरों के आसपास के छायादार स्थान पर पानी रखना चाहिए जिससे यह पक्षी अपनी प्यास बुझा सके और अपना अनमोल जीवन बचा सके।
यदि हम हमारे वातावरण के आसपास देखते हैं। तो हमें पक्षियों की संख्या में हो रही निरंतर कमी दिखाई देती हैं।जिसके मुख्य कारण भोजन तथा पानी की कमी के कारण पक्षियों की संख्या में निरंतर कमी हो रही है। मोबाइल एवं इंटरनेट के उपयोग से निकलने वाले रेडिएशन के कारण शहरी क्षेत्र से पक्षी गायब हो चुके हैं।
हमारे द्वारा इन पक्षियों को बचाने का हर संभव प्रयत्न करना चाहिए। क्योंकि आज के इस युग में हम विकास के क्षेत्र में इतनी तेजी से बढ़ रहे हैं। जिसके परिणाम स्वरूप अनेकों प्रकार का प्रदूषण हो रहा है। जल प्रदूषण वायु प्रदूषण ध्वनि प्रदूषण वायु प्रदूषण के कारण वायु में उपस्थित जहरीली और विषैली गैस के कारण पक्षियों पर बुरा प्रभाव पढ़ रहे हैं।जिससे पक्षी अपनी जान गवा देते हैं। और गौरैया के जैसे और भी अनेक पक्षी लुप्त होते जा रहे हैं।
बहुत सारे ऐसे पक्षी होते हैं। जो खेतों में अपना रेन बसेरा करते हैं। एवं खेतों में उपस्थित कीटों को खाकर अपना पोषण करते हैं। परंतु बहुत सारे ऐसे भी लोग हैं। जो खेतों में फसल कटने के उपरांत उन खेतों में आग लगा देते हैं। जिसके कारण मृदा की उर्वरक क्षमता तो कम होती ही है। साथ ही खेतों में उपस्थित कई तरह के पक्षी भी मारे जाते हैं। खेतों में उपस्थित पक्षियों के अंडे जल जाते हैं। इस तरह की अनेकों समस्याओं का सामना पक्षियों को करना पड़ता है। इन्हीं कारणों से पक्षियों की संख्या में निरंतर कमी आ रही है।
जल प्रदूषण के कारण मृत्यु
मानव के द्वारा घरों से निकालकर कचरे को नदियों में फेंक दिया जाता है। एवं फैक्ट्रियों से निकलने वाले हानिकारक केमिकल को नदियों में छोड़ने के परिणाम स्वरूप जल प्रदूषण हो रहा है। इस जहरीले पानी को पीने के बाद पक्षियों की मृत्यु हो जाती है। हमें हमारे कर्तव्य को याद रखना चाहिए और प्रदूषण होने से रोकना चाहिए। आकाश में उड़ते हुए पक्षी बड़े ही सुंदर दिखाई देते हैं। जब वह शाम के वक्त एक झुंड में घर की ओर लौटते हैं। तो बहुत सुंदर दिखाई देते हैं।
यदि हम गांव के और देखें तो हमें वहां पर अनेकों पक्षी देखने को मिलते हैं। चाहे वह मोर हो या चिड़िया की ची ची करती हुई आवाज हो या कबूतर की गुटर गू करती हुई आवाज हमारे मन को बड़ी प्रिय लगती है। यदि हम शहरों की ओर देखें तो हमें पक्षी तो दूर की बात हमें पेड़ भी बहुत कम देखने को मिलते हैं। पेड़ों की अंधाधुंध कटाई की जा रही है। जिससे पशु पक्षियों और मनुष्य के जीवन पर बुरा असर पड़ रहा है। साथ ही पेड़ों की कमी के कारण पक्षियों को घोसले बनाने के लिए पर्याप्त स्थान प्राप्त नहीं हैं।
पक्षियों के बचाव एवं उपाय
हमें अपने घरों के पास छायादार स्थान या वृक्षों पर पानी और दाने रखना चाहिए। जिससे यह पक्षी अपना पेट भर सकें। और प्यास बुझा सके। हमें अपने घरों की छतों पर किसी बड़े बर्तन में पानी रखना चाहिए। जिससे वह तेज धूप पढ़ने पर नहा सके। इसके साथ ही हमें कम वाहनों का उपयोग करना चाहिए। जिससे कम प्रदूषण हो एवं अधिक प्रदूषण फैलाने वाले वाहन का उपयोग नहीं करना चाहिए। इन पक्षियों को लुप्त होने से बचाने के लिए हमें अधिक से अधिक पौधेरोपण करना चाहिए।
पक्षी बचाओ पर निबंध
यदि हम गौरैया की बात करें तो गौरैया एक ऐसा पक्षी हैं। जो हमें हमारे वातावरण में अधिक देखने को मिलती थी। लेकिन स्थिति यह है। कि 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस के रूप मैं मनाया जाता है। जिसका मुख्य कारण गौरैया की संख्या में निरंतर हो रही कमी है। एक समय था। जब यह गौरैया हमारे आंगन में फुदकती थी। लेकिन आज यह हमें दूर दूर तक दिखाई नहीं देती है। गौरैया की संख्या दिन-ब-दिन घटती जा रही हैं। इसको लुप्त होने से बचाने के लिए हमें सतत प्रयास करना होगा। क्योंकि पक्षी हमारे लिए एवं हमारे इस वातावरण के लिए बहुत ही आवश्यक हैं।
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पक्षियों की घटती संख्या पर निबंध नीचे दिया गया है-
Explanation:
आज के दौर में पक्षियों का जीवन जीना मुश्किल हो गया है। क्योंकि न तो पक्षियों के रहने के लिए पेड़ बचे हैं और न ही खाने को भोजन मिल रहा है। तब स्थिति और गंभीर हो जाती है। जब गर्मी के दिनों में भूख-प्यास से पक्षियों की मौत हो जाती है। हम सबका कर्तव्य है। कि हम इस जंगली पक्षी की रक्षा करें और अपने घरों के आसपास छायादार स्थान पर पानी रखें ताकि यह पक्षी अपनी प्यास बुझा सके और अपने अनमोल जीवन को बचा सके।
अगर हम अपने आसपास के वातावरण को देखें। इसलिए हम देखते हैं कि पक्षियों की संख्या में लगातार कमी आ रही है। मोबाइल और इंटरनेट के इस्तेमाल से निकलने वाले रेडिएशन के कारण शहरी क्षेत्र से पक्षी गायब हो गए हैं।
हमें अपने घरों के पास छायादार स्थान या पेड़ों पर पानी और अनाज रखना चाहिए। ताकि ये पक्षी अपना पेट भर सकें और प्यास बुझाओ। हमें अपने घरों की छतों पर एक बड़े बर्तन में पानी रखना चाहिए, ताकि वह तेज धूप में नहा सकें। इसके साथ ही हमें वाहनों का कम प्रयोग करना चाहिए। जिससे प्रदूषण कम होता है और अधिक प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इन पक्षियों को विलुप्त होने से बचाने के लिए हमें अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए।
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