पकलपट क लए करना पड़ता है। परमात्मा ने जिसके लिए जो रोजगार
मुकर्रर किया है, वही उसको करना पड़ता है।"
"क्या नफ़ा हुआ?" प्रश्न करने में ठाकुर को ज़रा संकोच हुआ, और प्रश्न
का उत्तर देने में रज्जब को उससे बढ़कर।
रज्जब ने जवाब दिया-"महाराज, पेट के लायक कुछ मिल गया है, यों ही।"
ठाकुर ने इस पर कोई ज़िद नहीं की।
रज्जब एक क्षण बाद बोला-"बड़े भोर उठ कर चला जाऊँगा। तब तक घर
के लोगों की तबीयत भी अच्छी हो जाएगी।"
इसके बाद दिन-भर के थके हुए पति-पत्नी सो गए। काफ़ी रात गए कुछ लोगों
ने एक बँधे इशारे से ठाकुर को बाहर बुलाया। एक फटी-सी रजाई ओढ़े ठाकुर
साहब बाहर निकल आया।
आगंतुकों में से एक ने धीरे से कहा-"दाऊजू ! आज तो खाली हाथ लौटे हैं।
कल संध्या का सगुन बैठा है।"
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Wow! NYC Story....................
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So what's the question you just writing conversations?!
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