पखापखी के कारनै , सब जग रहा भुलान निरपख होइ के हरि भजै , सोई संत सुजान || : 1 ) इस दोहे के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है
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Answer: पखापखी के कारनै , सब जग रहा भुलान ;
निरपख होइ के हरि भजै , सोई संत सुजान ||
इस दोहे के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है ?
--- एक विचार या दूसरे विचार या धर्म का पक्ष लेने के चक्कर में दुनिया भूल भुलैया में पड़ी रहती है। जो निष्पक्ष होकर ईश्वर की पूजा करता है वही सही ज्ञान पाता है।
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