Math, asked by harshdhardubey07, 28 days ago

पखापखी के कारनै , सब जग रहा भुलान निरपख होइ के हरि भजै , सोई संत सुजान || : 1 ) इस दोहे के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है. kabir ke dohe ​

Answers

Answered by lavanya4144
5

Answer:

निरपख होइ के हरि भजै, सोई संत सुजान॥ शब्दार्थ – पखापखी - पक्ष और विपक्ष, कारनै - कारण, भुलान - भूला हुआ, निरपख - निष्पक्ष, होइ - होकर, भजै - भक्ति करना, सोई - वही, सुजान - ज्ञानी/चतुर । ... अर्थात संतों का यही लक्षण है कि वे मत-मतान्तरों के चक्कर में न पड़कर सच्चे ह्रदय से ईश्वर की भक्ति करें

Similar questions