पखापखी के कारनै,सब जग रहा भुलान । निरपख होई के हरि भजै, सोई संत सुजान। please define it
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पखापखी के कारनै,सब जग रहा भुलान । निरपख होई के हरि भजै, सोई संत सुजान।
प्रश्न में दी गए दोहे में कबीर जी समझाते है कि पक्ष और विपक्ष के चक्कर को छोड़ कर हमें सच्चे मन से ईश्वर की भक्ति करनी चाहिए |
व्याख्या :
आज के समय में सभी लोग पक्ष-विपक्ष के कारण सभी लोग आपस में लड़ रहे है | सब कुछ भूल कर भगवान को भूल रहा है | धर्म , जात-पात को लेकर मनुष्य लड़ रहे है | जो व्यक्ति निपक्ष होकर भगवान की भक्ति कर रहा है , वो ही असल में सज्जन व्यक्ति है |
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