पल्लव कालीन की कला एवं साहित्य का वर्णन करें
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कला- पल्लव काल स्थापत्य कला के क्षेत्र में विशेष प्रगति का काल रहा है। इस काल में अनेक भव्य मन्दिरों का निर्माण किया गया। ये मन्दिर विशाल ठोस चट्टानों को काटकर बनाये गये। सर्वप्रथम त्रिचनापल्ली में दरी मन्दिरों का निर्माण किया गया। महाबलिपुरम् में रथ मन्दिरों का निर्माण कराया गया। महाबलिपुरम् में शोर मन्दिर जैसे विशाल और भव्य मन्दिर का निर्माण किया गया। महेन्द्रवर्मन प्रथम ने महाबलिपुरम् में विशाल ठोस चट्टानों को काटकर मन्दिर बनाने की कला की आधारशिला रखी। ये मन्दिर प्राचीन स्थापत्य कला के सुन्दरतम नमूने हैं। बाराह मन्दिर में स्तम्भों वाला एक बरामदा है और ये स्तम्भ बैठे हुए शेर पर टिके हुए हैं। पल्लव कला की एक विशेषता गंगावतरण का दृश्य है जिसमें गंगा को देवताओं, पशुओं सहित पृथ्वी पर उतरते हुए दिखाया गया है। पल्लव काल में वास्तुकला की कई शैलियां प्रचलित हुई।