Political Science, asked by Manoj77770, 9 months ago

पल्लवो के शासनकाल में साहित्य के स्वरूप पर टिप्पणी कीजिए । 250 शब्दों में​

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Answered by Anonymous
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पल्लव राजवंश प्राचीन दक्षिण भारत का एक राजवंश था। चौथी शताब्दी में इसने कांचीपुरम में राज्य स्थापित किया और लगभग ६०० वर्ष तमिल और तेलुगु क्षेत्र में राज्य किया। बोधिधर्म इसी राजवंश का था जिसने ध्यान योग को चीन में फैलाया। यह राजा अपने आप को क्षत्रिय मानते थे .

पल्लव राजवंश कुछ विद्वानों ने पल्लवों की उत्पत्ति पार्थियन लोगों से बतलाई है। किन्तु पल्लव और पह्लव नामों का ध्वनिसाम्य दोनों का तादात्म्य सिद्ध करने के लिए पर्याप्त नहीं है। दक्षिणी भारत में पह्लवों को उत्तरापथ में और पल्लवों को दक्षिणापथ में रहनेवाला कहकर दोनों में स्पष्ट अnतर दिखलाया है। पल्लव शब्द मूलतः तमिल 'तोंडेयर' और 'तोंडमान' का संस्कृत रूप था। पल्लवों की तमिल उत्पत्ति माननेवाले विद्वान् पल्लवों का तिरैयर से समीकरण बतलाते हैं। एक विद्वान् ने तो पल्लव शब्द को ही, दूध दुहनेवाले या ग्वाले के अर्थ में, तमिल भाषा से निकला सिद्ध करने का असफल प्रयत्न किया है। मणिमेखलै के आधार पर प्रथम पल्लव नरेश को एक चोल और एक नाग राजकन्या की सतति मानने का भी सुझाव रखा गया है। पल्लव नामकरण नाग-राज-कन्या के जन्मदेश मणिपल्लवम् अथवा प्रथम पल्लव के तोंडै लता की शाखा की गेंडुरी से बँधा हुआ पाए जाने के कारण बतलाया जाता है।

इसके विरुद्ध कुछ विद्वान् पल्लवों की उत्तरी उत्पत्ति मानते हैं। काशीप्रसाद जायसवाल के अनुसार पल्लव वाकाटकों की एक शाखा थे; ये उत्तर के कायस्थ थे जिन्होंने सैनिक वृत्ति अपना ली थी। पल्लव राजवंश के ऊपर उत्तरी भारत की सांस्कृतिक परंपराओं की स्पष्ट छाप है। वे पहले प्राकृत और बाद में संस्कृत का उपयोग करते हैं। वे धर्ममहाराज और अश्वमेघयाजिन् जैसी उपाधियाँ धारण करते हैं। उनकी प्रारंभिक शासनव्यवस्था सतवाहन पद्धति और अन्ततोगत्वा अर्थशास्त्र में प्रतिपादित व्यवस्था से संबंधित है। किन्तु इन सब से पल्लवों की उत्तरी उत्पत्ति कहाँ तक सिद्ध होती है, यह निश्चय करना कठिन है। पल्लवों को ब्राह्मण द्रोणाचार्य और अश्वत्थामा से संबंधित करनेवाली अनुश्रुतियाँ तो है किन्तु कदम्ब राजवंश के तालगुंड अभिलेख में पल्लवों को क्षत्रिय गुर्जर कहा गया है जिसका समर्थन ह्वेनसांग भी करता है। संभवतः वे प्रारम्भ में सातवाहनों के सामन्त थे। उन्होंने कांची प्रदेश नागों से लिया होगा। यह घटना दूसरी शताब्दी के मध्य के बाद की होगी जब कि टाल्मी के अनुसार यहाँ नागों का अधिकार था। बाद के कुछ अभिलेखों में पल्लव राजवंश की उत्पत्ति इनमें उल्लिखित कुछ प्रारंभिक नाम काल्पनिक जैसे लगते हैं किन्तु कुछ घटनाओं का ऐतिहासिक आधार भी सम्भव है।

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