पल्लवन कि विशेषताएं लिखिए तथा परहित सरिस धरम नहि भाई का पल्लवन कीजिए
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Answer:
परहित सरिस धरम नहीं भाई। इन सूक्तियों ओर कहावतों में भाव या विचार गठे और एक दूसरे के साथ बंधे रहते है। इन विचारों या भावों के समझने के लिए इनका विस्तार से विवेचन करना होता है ताकि उस सूत्र, वाक्य, सूक्ति या कहावत में छिपे गहरे अर्थ को स्पष्ट किया जा सके।
Explanation:
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‘पल्लवन’ हिंदी गद्य की एक विधा है, जिसमें किसी विषय-वस्तु को एक अलग दृष्टिकोण से प्रस्तुत कर उसका एक विस्तृत रूप से विवेचन किया जाता है। वो विषय वस्तु कोई मुहावरा, लोकोक्ति या कोई सामयिक घटना भी हो सकती है।’
उदाहरण के लिये...
“थोथा चना बजा बाजे घना”
ये प्रसिद्ध लोकोक्ति है जिसका अर्थ ये है कि जो चना अंदर से खोखला होता है वो हिलाने पर आवाज करता है।
इसका लोकोक्ति का भावार्थ ये है कि जो व्यक्ति कम ज्ञानी होता है वो ज्ञानी होने दिखावा बहुत करता है और बड़ी-बड़ी बाते करके अपनी कमी को छुपाने का प्रयास करता है और ये दिखाने का प्रयत्न करता है कि वो ही सर्वश्रेष्ठ है।
पल्लवन से किसी बात को एक अलग और विशिष्ट अर्थ में व्यक्त किया जाता है, जिससे उस बात को नया रूप और अर्थ मिलता है।
परहित सरिस धरम नहि भाई का पल्लवन...
पंक्तियों का भावार्थ यह है कि दूसरों की भलाई के समान कोई धर्म नहीं और दूसरों को दुख पहुंचाने से बड़ा कोई पाप नहीं।
पल्लवन...
मनुष्य को परोपकार को सर्वाधिक महत्व देना चाहिए। परोपकार मनुष्य का सबसे अच्छा गुण है। वह परोपकार के जितने अधिक कार्य करेगा ईश्वर के उतने ही अधिक निकट पाएगा। उसको सदैव ऐसा प्रयास करना चाहिए कि सब के काम आ सके। दूसरों की भलाई में उसे अपने कर्तव्य को देखना चाहिए। उसे ऐसा कोई भी कार्य करने से बचना चाहिए, जिससे किसी का दिल दुखता हो, जिससे किसी को कष्ट होता है, इससे किसी के आत्मसम्मान को ठेस पहुंची हो। इसलिए दूसरों की भलाई से बढ़कर कोई भी बड़ा धर्म नहीं और किसी को कष्ट तकलीफ पहुंचाने से बड़ा कोई पाप नहीं है।