पन्ना धाय का चरित्र चित्रण - दीपदान एकांकी
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पन्ना दीपदान एकांकी की केंद्रीय पात्र है। वह तीस वर्ष की है तथा चंदन की माँ है। वह कुँवर उदयसिंह का संरक्षण करनेवाली धाय है। उसे अपने राज्य और कुँवर उदयसिंह से प्यार है। वह अपने कर्तव्य के प्रति निष्ठावान है तथा राजवंश की रक्षा के लिए अपने पुत्र का उत्सर्ग करने में थोड़ा-सा भी संकोच नहीं करती है। वह तत्काल निर्णय लेने की क्षमता रखती है। आनेवाली विपत्तियों से सावधान रहती है। व्यक्ति से किस तरह की बात करना है, वह अच्छी तरह जानती है। कुँवर उदयसिंह की रक्षा करने के लिए कुँवर को नाराज करने से भी वह नहीं हिचकती है। वह साहसी है तथा दुर्दांत बनवीर जैसे व्यक्ति से भी नहीं डरती है। सोना हो अथवा बनवीर, वह इन दोनों से तर्कशक्ति में भारी पड़ती है। उसमें ममत्व है, किन्तु राज्य के प्रति उसकी निश्ठा उसके पुत्र-प्रेम की भावना से कहीं बहुत अधिक है। वह संवेदनशील है और अधिकार और कर्तव्य के प्रति जागरूक है। पन्ना को किस समय क्या कार्य किस कुशलता से करना चाहिए, इस बात का अभिज्ञान उसे रहता है। जिस योजनाबद्ध तरीके से सफलतापूर्वक वह कुँवर उदयसिंह को कीरत के माध्यम से दुर्ग के बाहर पहुँचाती है, वह किसी साधारण बुद्धि की औरत के लिए बिल्कुल भी संभव नहीं है। इस दृष्टि से पन्ना धाय का चरित्र अप्रतिम, अतुलनीय, प्रेरणास्पद एवं स्तुत्य है। पन्ना के चरित्र की संरचना करते समय डॉ. रामकुमार वर्मा ने बहुत कुशलता का परिचय दिया है।