Hindi, asked by Rachit3125, 11 months ago

पन्त प्रकृति के सुकुमार कवि हैं।"" इस कथन को पठित कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

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Answered by RvChaudharY50
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Answer:

पन्त प्रकृति के रूप के कुशल चित्रकार हैं। वह बचपन से ही प्रकृति की गोद में खेले हैं। प्रकृति के प्रति उनकी तल्लीनता उनके काव्य में भी व्यक्त हुई है। उनकी कविता में प्रकृति के रम्य और रौद्र दोनों ही रूपों का चित्रण मिलता है। पन्त जी ने प्रकृति का मानवीकरण किया हैं और उसके सजीव चित्र अंकित किए हैं। आपका प्रकृति वर्णन आकर्षक है तथा एक चित्र जैसा प्रतीत होता है। उसमें रस, गंध, ध्वनि और गति के भी चित्र मिलते हैं अनिल पुलकित स्वर्णाचल लोल, मधुर नूपुर ध्वनि खग-कुल रोल, सीप से जलदों के पर खोल उड़ रही नभ में मौन! पन्त जी के काव्य में अज्ञात सत्ता के प्रति जिज्ञासा है। उनका यह भाव ही रहस्यवाद की झाँकी प्रस्तुत करता है न जाने कौन, अये द्युतिमान जान मुझको अबोध अज्ञान सुझाते हो तुम पथ अनजान पन्त जी के काव्य में प्रकृति का रम्य रूप ही सार्थक दिखाई देता है। प्रकृति का यह स्वरूप उनको निरन्तर आकर्षित करता है। संध्या काल का एक चित्र दर्शनीय है।

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