Panch mahapurus ke baare me likhe hindi me
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महात्मा गांधी "बापू" या "राष्ट्रपिता" के रूप में भारत में बहुत प्रसिद्ध है। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है। वें एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे और एक राष्ट्रवाद नेता की तरह ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारत का नेतृत्व किया था। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 में गुजरात के पोरबंदर में हुआ था| उनकी मृत्यु 30 जनुअरी 1948 को हुयी थी| मोहनदास करमचंद गांधी की हत्या हिंदू कार्यकर्ता नाथूराम गोडसे ने की थी बाद में जिसको इसके लिए भारत सरकार द्वारा फांसी की सजा दे दी गयी। 1948 में रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा उन्हें एक और नाम दिया गया जो है "राष्ट्र का शहीद"।
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स्वतन्त्र भारत के संविधान निर्माता, दलितों के मसीहा, समाज सुधारक डॉ० भीमराव अम्बेडकर एक राष्ट्रीय नेता भी थे । सामाजिक भेदभाव, अपमान की जो यातनाएं उनको सहनी पड़ी थीं, उसके कारण वे उसके विरुद्ध संघर्ष करने हेतु संकल्पित हो उठे । उन्होंने उच्चवर्गीय मानसिकता को चुनौती देते हुए निम्न वर्ग में भी ऐसे महान् कार्य किये, जिसके कारण सारे भारतीय समाज में वे श्रद्धेय हो गये ।डॉ० अम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को महू इन्दौर (म०प्र०) में हुआ था । उनके बचपन का नाम भीम सकपाल था । उनके पिता रामजी मौलाजी सैनिक स्कूल में प्रधानाध्यापक थे । उन्हें मराठी, गणित, अंग्रेजी का अच्छा ज्ञान था । भीम को भी यही गुण अपने पिता से विरासत में मिले थे । उनकी माता का नाम भीमाबाई था ।
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स्वामी विवेकानंद की गिनती भारत के महापुरुषों में होती है । उस समय जबकि भारत अंग्रेजी दासता में अपने को दीन-हीन पा रहा था, भारत माता ने एक ऐसे लाल को जन्म दिया जिसने भारत के लोगों का ही नहीं, पूरी मानवता का गौरव बढ़ाया । उन्होंने विश्व के लोगों को भारत के अध्यात्म का रसास्वादन कराया । इस महापुरुष पर संपूर्ण भारत को गर्व है ।इस महापुरुष का जन्म 12 जनवरी, 1863 ई. में कोलकाता के एक क्षत्रिय परिवार में श्री विश्वनाथ दत्त के यहाँ हुआ था । विश्वनाथ दत्त कलकत्ता हाई कोर्ट के नामी वकील थे । माता-पिता ने बालक का नाम नरेन्द्र रखा । नरेन्द्र बचपन से ही मेधावी थे । उन्होंने 1889 में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण कर कोलकाता के ‘ जनरल असेम्बली ’ नामक कॉलेज में प्रवेश लिया । यहाँ उन्होंने इतिहास, दर्शन, साहित्य आदि विषयों का अध्ययन किया । नरेन्द्र ने बी.ए. की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की।
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महात्मा बुद्ध के बचपन का नाम सिद्धार्थ था । उन्हें गौतम बुद्ध के नाम से भी जाना जाता है। उनका जन्म लगभग ढाई हजार वर्ष पहले कपिलवस्तु के राजा शुद्धोदन के घर में हुआ था । उनकी माता का नाम महामाया था । महारानी महामाया पुत्र-जन्म के सात दिन बाद स्वर्ग सिधार गईं । माता की बहन गौतमी ने बालक का लालन-पालन किया । इस बालक के जन्म से महाराज शुद्धोदन की पुत्र प्राप्ति की इच्छा पूर्ण हुई थी, इसलिए बालक का नाम सिद्धार्थ रखा गया । गौतम नाम इनके गोत्र के कारण पड़ा।सिद्धार्थ की जन्मपत्री देखकर राज ज्योतिषी ने भविष्यवाणी की थी कि बालक बड़ा होकर या तो चक्रवर्ती राजा बनेगा या तपस्या के उपरांत महान संत बनेगा । संत बनने की बात सुनकर पिता को चिंता हुई । उन्होंने महल में बालक के आमोद-प्रमोद के लिए सभी इंतजाम कर दिए।
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जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी अहिंसा के मूर्तिमान प्रतीक थे। उनका जीवन त्याग और तपस्या से ओतप्रोत था। एक लँगोटी तक का परिग्रह नहीं था उन्हें। हिंसा, पशुबलि, जाति-पाँति के भेदभाव जिस युग में बढ़ गए, उसी युग में पैदा हुए महावीर और बुद्ध। दोनों ने इन चीजों के खिलाफ आवाज उठाई। दोनों ने अहिंसा का भरपूर विकास किया।
करीब ढाई हजार साल पुरानी बात है। ईसा से 599 वर्ष पहले वैशाली गणतंत्र के क्षत्रिय कुण्डलपुर में पिता सिद्धार्थ और माता त्रिशला के यहाँ तीसरी संतान के रूप में चैत्र शुक्ल तेरस को वर्द्धमान का जन्म हुआ। यही वर्द्धमान बाद में स्वामी महावीर बना। महावीर को 'वीर', 'अतिवीर' और 'सन्मति' भी कहा जाता है। बिहार के मुजफ्फरपुर जिले का आज का जो बसाढ़ गाँव है वही उस समय का वैशाली था।
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स्वतन्त्र भारत के संविधान निर्माता, दलितों के मसीहा, समाज सुधारक डॉ० भीमराव अम्बेडकर एक राष्ट्रीय नेता भी थे । सामाजिक भेदभाव, अपमान की जो यातनाएं उनको सहनी पड़ी थीं, उसके कारण वे उसके विरुद्ध संघर्ष करने हेतु संकल्पित हो उठे । उन्होंने उच्चवर्गीय मानसिकता को चुनौती देते हुए निम्न वर्ग में भी ऐसे महान् कार्य किये, जिसके कारण सारे भारतीय समाज में वे श्रद्धेय हो गये ।डॉ० अम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को महू इन्दौर (म०प्र०) में हुआ था । उनके बचपन का नाम भीम सकपाल था । उनके पिता रामजी मौलाजी सैनिक स्कूल में प्रधानाध्यापक थे । उन्हें मराठी, गणित, अंग्रेजी का अच्छा ज्ञान था । भीम को भी यही गुण अपने पिता से विरासत में मिले थे । उनकी माता का नाम भीमाबाई था ।
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स्वामी विवेकानंद की गिनती भारत के महापुरुषों में होती है । उस समय जबकि भारत अंग्रेजी दासता में अपने को दीन-हीन पा रहा था, भारत माता ने एक ऐसे लाल को जन्म दिया जिसने भारत के लोगों का ही नहीं, पूरी मानवता का गौरव बढ़ाया । उन्होंने विश्व के लोगों को भारत के अध्यात्म का रसास्वादन कराया । इस महापुरुष पर संपूर्ण भारत को गर्व है ।इस महापुरुष का जन्म 12 जनवरी, 1863 ई. में कोलकाता के एक क्षत्रिय परिवार में श्री विश्वनाथ दत्त के यहाँ हुआ था । विश्वनाथ दत्त कलकत्ता हाई कोर्ट के नामी वकील थे । माता-पिता ने बालक का नाम नरेन्द्र रखा । नरेन्द्र बचपन से ही मेधावी थे । उन्होंने 1889 में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण कर कोलकाता के ‘ जनरल असेम्बली ’ नामक कॉलेज में प्रवेश लिया । यहाँ उन्होंने इतिहास, दर्शन, साहित्य आदि विषयों का अध्ययन किया । नरेन्द्र ने बी.ए. की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की।
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महात्मा बुद्ध के बचपन का नाम सिद्धार्थ था । उन्हें गौतम बुद्ध के नाम से भी जाना जाता है। उनका जन्म लगभग ढाई हजार वर्ष पहले कपिलवस्तु के राजा शुद्धोदन के घर में हुआ था । उनकी माता का नाम महामाया था । महारानी महामाया पुत्र-जन्म के सात दिन बाद स्वर्ग सिधार गईं । माता की बहन गौतमी ने बालक का लालन-पालन किया । इस बालक के जन्म से महाराज शुद्धोदन की पुत्र प्राप्ति की इच्छा पूर्ण हुई थी, इसलिए बालक का नाम सिद्धार्थ रखा गया । गौतम नाम इनके गोत्र के कारण पड़ा।सिद्धार्थ की जन्मपत्री देखकर राज ज्योतिषी ने भविष्यवाणी की थी कि बालक बड़ा होकर या तो चक्रवर्ती राजा बनेगा या तपस्या के उपरांत महान संत बनेगा । संत बनने की बात सुनकर पिता को चिंता हुई । उन्होंने महल में बालक के आमोद-प्रमोद के लिए सभी इंतजाम कर दिए।
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जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी अहिंसा के मूर्तिमान प्रतीक थे। उनका जीवन त्याग और तपस्या से ओतप्रोत था। एक लँगोटी तक का परिग्रह नहीं था उन्हें। हिंसा, पशुबलि, जाति-पाँति के भेदभाव जिस युग में बढ़ गए, उसी युग में पैदा हुए महावीर और बुद्ध। दोनों ने इन चीजों के खिलाफ आवाज उठाई। दोनों ने अहिंसा का भरपूर विकास किया।
करीब ढाई हजार साल पुरानी बात है। ईसा से 599 वर्ष पहले वैशाली गणतंत्र के क्षत्रिय कुण्डलपुर में पिता सिद्धार्थ और माता त्रिशला के यहाँ तीसरी संतान के रूप में चैत्र शुक्ल तेरस को वर्द्धमान का जन्म हुआ। यही वर्द्धमान बाद में स्वामी महावीर बना। महावीर को 'वीर', 'अतिवीर' और 'सन्मति' भी कहा जाता है। बिहार के मुजफ्फरपुर जिले का आज का जो बसाढ़ गाँव है वही उस समय का वैशाली था।
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Mahatma Gandhi Mahatama Budh
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