Hindi, asked by sofie54, 11 months ago

pani ki kahani in Hindi​

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Answered by mysterious2004
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Answer:

सोनम के पापा जबसे इस शहर में आए हैं, वे और उनका परिवार पानी की किल्लत से परेशान हैं।

सबसे अधिक परेशानी तो सोनम के भाई प्रतीक को है। कहां तो प्रतीक दिन में दो-तीन बार नहाता था और घंटों शॉवर के नीचे बैठा गुनगुनाता रहता था। लेकिन अब तो जैसे एक बाल्टी पानी भी मुश्किल से मिलता है, उस पर भी मम्मी की सौ-सौ हिदायतें।

वह कहता, 'पापा, आप हमें कहां ले आए? हमें तो वापस ले चलिए।'

पापा मुस्कुराकर रह जाते। वे लोग जिस मकान में रहते थे, वहीं पड़ोस में रहने वाले भाई-बहन गौरव और अल्पना से सोनम और प्रतीक की दोस्ती हो गई थी।

रविवार के दिन सोनम और प्रतीक उनके घर गए। उन्होंने देखा, गौरव के पापा दाढ़ी बना रहे थे। अचानक प्रतीक का ध्यान वॉश बेसिन के नल पर गया। वह बंद था।

'अंकल, आपके यहां पानी नहीं आ रहा?' प्रतीक ने पूछा।

'आ रहा है बेटा।' कहते हुए उन्होंने वॉश बेसिन का नल खोलकर दिखाया। फिर बोले, 'पर तुम क्यों पूछ रहे हो?'

'कुछ नहीं अंकल, ऐसे ही।' प्रतीक बोला। लेकिन सोनम समझ गई। पर कैसे कहे कि उसके पापा तो शेविंग करते समय वॉश बेसिन का नल खुला ही रखते हैं।

गौरव-अल्पना के घर तो उन्हें और भी अनेक बातें पता चलीं। गौरव के पापा ने अपनी कार के अधिकांश हिस्सों को गीले कपड़े से पोंछा। कार एकदम साफ हो गई।

गौरव ने कहा, 'प्रतीक मैं नहाकर आता हूं।' और वह झटपट नहाकर आ गया। प्रतीक चकित था।

बोला, 'नहा आए?'

'और नहीं तो क्या। एक बाल्टी पानी से खूब मजे से नहा लिया।' गौरव ने मुस्कुराते हुए कहा।

'वाह, क्या बात है।' प्रतीक बुदबुदाया।

इधर सोनम ने भी देखा, अल्पना की मम्मी को। वे दाल-चावल, सब्जियों को अच्छी तरह से धोकर उसे घर के पेड़-पौधों व लॉन में डाल रही थीं।

'हमारे यहां तो ऐसा पानी नाली में बहा दिया जाता है', सोनम ने प्रतीक से कहा।

कुछ देर बाद दोनों भाई-बहन अपने घर लौट आए।

प्रतीक बोला, 'सोनम, आज तो गौरव के घर जाना फायदेमंद साबित हुआ।'

'बिलकुल ठीक कहते हो, प्रतीक।'

सोनम बोली, 'मैं भी यही सोच रही हूं। सचमुच पानी की बेहद कमी है। लेकिन फिर भी अल्पना के घर की पानी संबंधी व्यवस्था सुचारु रूप से चल रही है।'

'हां, हम अखबारों व पत्रिकाओं में पानी की कमी और पानी की बचत के बारे में भी खूब पढ़ते तो रहे हैं लेकिन हमने तो कभी भी इस समस्या पर ध्यान ही नहीं दिया।' प्रतीक को अफसोस हुआ।

'वाकई हमें अब सावधान हो जाना चाहिए। केवल जरूरत जितना ही पानी इस्तेमाल करने की आदत हमें रोजमर्रा के जीवन में डालनी चाहिए जिससे कि पानी का उचित उपयोग हो। व्यर्थ की बरबादी नहीं।' सोनम ने समझदारी की बात कही।

'हां, तुम ठीक कहती हो। पानी का विकल्प पानी ही है।' प्रतीक ने भी अपनी सहमति दी। दोनों ने अपने मम्मी-पापा से भी बात की। मम्मी-पापा बच्चों के मुंह से ऐसी बातें सुनकर हैरान थे और खुश भी।

'बच्चो, सबसे पहले हम पानी बेकार नहीं करने का संकल्प लेंगे।' पापा ने सोनम और प्रतीक को समझाया, 'ब्रश करते वक्त नल खुला नहीं छोड़ेंगे, पानी पूरा गिलास पीएंगे व जूठा पानी नहीं छोड़ेंगे। नहाते वक्त किफायत बरतेंगे, शॉवर इस्तेमाल नहीं करेंगे, बल्कि बाल्टी से नहाएंगे और फ्लश में कम से कम साफ पानी डालेंगे।'

और फिर उसी दिन से ही पानी की बचत होने लगी। साथ ही घरेलू कामकाज भी सुचारु रूप से चलने लगे। मम्मी-पापा से शुरुआत की गई। आदर सहित उन्हें पानी बरबाद न हो, इसके कई टिप्स बताए गए, जैसे शेविंग के वक्त मग में पानी, कपड़े धोकर गंदे पानी से नाली की सफाई, कम पानी में सब्जी धोना आदि।

पानी की मोटर के लगातार चलते रहने से जो पानी टंकियों से बहता रहता था, अब बिलकुल बंद हो गया, क्योंकि बच्चे टंकी भरते ही मोटर बंद कर देते थे। धीरे-धीरे बच्चों को इस काम में मजा आने लगा। अब तो कहीं भी पानी बरबाद होता दिखता, तो वे दल-बल सहित पहुंच जाते। जिन घरों में रोज धुलाई होती थी, वहां अब पोंछा लगने लगा।

बदलाव धीरे-धीरे आ रहा था। फिर एक दिन मम्मी ने सोनम और प्रतीक के साथ-साथ उनके अन्य मित्रों को संग में लेकर प्यासे पक्षियों हेतु छोटे-छोटे मटके कॉलोनी के पेड़ों पर बांधे। प्यासी चिड़ियों को पानी पीते देखकर खासतौर पर छोटे-छोटे बच्चों को बहुत सुकून मिला। हर एक बच्चे की जिम्मेदारी में 3-3 मटके थे। वे उन्हें खाली होने से पहले ही भर दिया करते थे।

Answered by gulshanprasad2812
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पानी की कहानी <-- in hindi

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