Pani ki samasya par do padosino ka sanvad
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चंचल- क्या हुआ वीना परेशान क्यों हो?
वीना- रोज़-रोज़ पानी की कटौती ने जीना हराम किया हुआ है। तुम परेशान नहीं हो क्या? मेरे तो काम ही नहीं निपटते हैं।
चंचल- नहीं! मैं परेशान नहीं हूँ। मैं पानी की बचत करती हूँ और अपने काम कम पानी में करती हूँ। अतः मुझे परेशानी नहीं होती है।
वीना- मैं समझी नहीं। तुम क्या करती हो कि तुम्हें पानी की ज़रूरत नहीं होती है।
चंचल- मुझे पानी की ज़रूरत होती है। मैं पानी का प्रयोग इस तरह करती हूँ कि थोड़े से पानी में बहुत से काम चल जाते हैं। जैसे कि मैं बर्तन धोती हूँ तो उस पानी को बचा कर रखती हूँ। उस पानी से मैं घर का आँगन तथा टॉयलेट धो देती हूँ। सब्ज़ी तथा फल धोने वाले पानी को मैं पौधों में डाल देती हूँ। कपड़े धोने के पानी से घर की साफ़-सफ़ाई करती हूँ। इस तरह कम पानी में बहुत काम हो जाता है।
वीना- वाह! मैं भी आज से ऐसा ही करूँगी।