pani ki samsaya ko lekar vidhyalay mai karyakaram aayojit karne ke liye paracharya ko patra
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लम्बे समय से अनेक विद्वान और चिंतक आम जनता को सचेत करते आए हैं कि आने वाले समय में बढ़ती आबादी और औद्योगिकरण के कारण पानी की विकराल समस्या खड़ी होगी। यह भी कह दिया गया है कि अगला विश्वयुद्ध शायद पानी की समस्या को लेकर होगा। वैसे तो पूरे विश्व में पानी की समस्या विकराल रूप धारण कर रही है पर भारत में यह ज्यादा तीव्रगति से बढ़ रही है। भारत में पानी के दो प्रमुख स्रोत हैं:
1. बहती नदियाँ तथा 2. भौम जल जो कुओं, ट्यूबवेलों आदि के माध्यम से निकाला जाता है।
इन दोनों ही स्रोतों में भारी कमी आई है। आइए, पहले देखते हैं कि भारत में पानी की मांग कितनी है और आने वाले समय में कितनी हो जाएगी।
यदि 1997 के जल प्रयोग को आधार माना जाये और उसके आधार पर आगे की मांग का अनुमान लगाया जाये तो निम्न आंकड़े उभरते हैं:
वर्ष
पानी की विशुद्ध मांग
1997
593 बी.सी.एम.
2010
652 बी.सी.एम.
2025
734 सी.बी.एम.
2050
837 बी.सी.एम.
बी.सी.एम. - बिलियन क्यूबिक मीटर
उपरोक्त मांग वर्ष की न्यूनतम मांग होगी। पर पानी की मांग पूरे वर्ष में एक जैसी नहीं होगी। पानी की अधिकतम मांग इस प्रकार होगी।
2010
688 बी.सी.एम.
2025
793 बी.सी.एम.
2050
1104 बी.सी.एम.
अब आइए देखें हमारे पास पानी है कितना जिसका कि उपयोग किया जा सकता है। हमारे यहाँ की विभिन्न नदियों व उनमें स्थित उपयोग योग्य पानी इस प्रकार है।
नदियाँ
उपयोग योग्य पानी
सिंधु नदी (सीमा तक)
63.81 बी.सी.एम.
गंगा नदी
422.01 बी.सी.एम.
ब्रह्मपुत्र
46.01 बी.सी.एम.
गोदावरी
121.28 बी.सी.एम.
कृष्णा
82.62 बी.सी.एम.
कावेरी
29.42 बी.सी.एम.
महानदी
68.19 बी.सी.एम.
स्वर्णरेखा
9.66 बी.सी.एम.
साबरमती
6.30 बी.सी.एम.
नर्मदा
47.50 बी.सी.एम.
ताप्ती
21.23 बी.सी.एम.
918.03 बी.सी.एम.
191.87 बी.सी.एम.
अन्य
कुल
1110 बी.सी.एम.
भौम जल: यह पृथ्वी की ऊपरी सतह के नीचे का पानी है जो रिस-रिस कर गहराई तक पहुँचता है। यह पानी भी नदियों की ही भाँति चल होता है और नीचे-नीचे बहता है। यदि इसका बहाव बाधित होकर रुक जाता है या धीमा हो जाता है तो यह खारा हो जाता है और पीने लायक नहीं रह जाता है। इस भौम जल की उपस्थिति तथा बहाव अनेक कारकों पर निर्भर करती हैं जैसे:
1. जल भूगर्भीय कारक
2. जल गतिकीय कारक
3. जलवायु संबंधी कारक
इन कारकों के कारण भौम जल का आकलन कठिन हो जाता है यह भौम जल पृथ्वी की सतह पर लाए जाने के बाद उपयोग होता है और फिर इसका एक अंश वापस पृथ्वी के नीचे पहुँचता है और इस प्रक्रिया में एकरूपता देखने को नहीं मिलती है। एकरूपता नहीं होने के कारण हैं निम्न में एकरूपता का न होना:
1. सालाना बारिश
2. सिंचाई के बाद बचे पानी के वापस नीचे जाने
3. नहरों के पानी के वापस नीचे जाने
4. जलसंभरों जैसे झीलों, तालाबों के पानी के नीचे जाने
जहाँ पर नदियों के बहाव का अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है जैसे कि नदी के मुहाने पर बहाव कितना है। बारिश के महीने में अतिरिक्त पानी या गर्मियों में कम पानी का भी अनुमान लगाया जा सकता है।
विभिन्न तरीकों से भौम जल के बारे में जो अनुमान लगाए गए हैं वे इस प्रकार हैं:
कुल भौम जल- 670 बी.सी.एम. इसमें से बारिश के दिनों के अलावा अन्य दिनों में 450 बी.सी.एम. जल ही उपलब्ध हो पाता है। यह अनुमान लगाया गया है कि इसमें से 350 बी.सी.एम. भौम जल ही विभिन्न के लिये निकाला जा सकता है।
दूसरी ओर भौम जल की भारी मांग है। यह निम्न गतिविधियों में खर्च होता है।
1. सिंचाई में- लगभग 85 प्रतिशत हिस्सा सिंचाई में चला जाता है।
2. घरेलू प्रयोग- लगभग 10 प्रतिशत हिस्सा घरेलू उपयोग में जाता है। बढ़ती आबादी के कारण इस खर्च में वृद्धि हो रही है।
3. औद्योगिक उपयोग- शेष हिस्सा औद्योगिक उपयोगों में काम आता है। पर बढ़ते औद्योगीकरण के कारण इस मांग में लगातार वृद्धि हो रही है।
इस प्रकार भौम जल भंडारों पर दबाव बेतहाशा बढ़ रहा है। प्राकृतिक तरीकों से जो जल ऊपर से नीचे जाता है उसमें कमी आ रही है और इस प्रक्रिया को ठीक करना होगा। हमारे भौम जल भंडार भरे रहें, इसके लिये स्पष्ट नीति बनानी होगी।
फिलहाल बढ़ते दबाव के कारण विभिन्न स्रोतों से प्राप्त जल की गुणवत्ता में स्पष्ट कमी दिखाई दे रही है। अनेक जगहों का पानी अब न सिंचाई योग्य बचा है और न ही औद्योगिक उपयोग योग्य। पीने योग्य पानी की तो भारी कमी देखने में आ रही है। यदि ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले दशकों में देश के विभिन्न भागों में पानी का अकाल पड़ने लगेगा।
लेखक परिचय
विनोद कुमार मिश्र
सी-1, सेल अपार्टमेंट, बी-14, वसुंधरा एन्क्लेव, दिल्ली-110 096
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Explanation:
अध्यापक जी
जैसे कि मैं आज आपको बताने जा रही हूं कि हमारे विद्यालय में पानी की समस्या की वजह से इस गर्मी में सभी को कष्ट झेलना पड़ रहा हैऔर सभी बिना पानी पिए ही रहते हैं किसी ने नारी की आंख गंदगी पानी पी ली तो उसकी सेहत खराब हो सकती है इसलिए मैं यह चाहती हूं कि आप हमारे विद्यालय की यह पानी की समस्या को ठीक करवाए