पञ्च नीति मालोफार व्यारव्या
सहितम् लिरवता
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आज के समय में हर कोई उचित समय और उचित स्थान पर उचित कार्य करने की कला प्राप्त करना चाहता हैं| इस कला को नीति कहते हैं| यदि आपके पास यह कला हैं तो आपको जीवन में सफल होने से कोई नहीं रोक सकता| इसके कारण ही आप अपने जीवन की किसी भी कठनाई का डटकर सामना कर सकते हैं| आज के इस आर्टिकल में हम आपके लिए niti sloka, आदि की जानकारी लाए हैं जिसे पढ़कर आपको बनाये गये सिद्धान्तों पर चले में आसानी होगी|
Explanation:
नीति श्लोक अर्थ सहित नीति विदुर श्लोको के साथ ही आप सच्चिदानंद रूपाय श्लोक भी देख सकते हैं| संस्कृत श्लोक दयाहीनं निष्फलं स्यान्नास्ति धर्मस्तु तत्र हि । एते वेदा अवेदाः स्यु र्दया यत्र न विद्यते ॥ हिंदी अर्थ बिना दया के किये गए काम का कोई फल नहीं मिलता, ऐसे काम में धर्म नहीं होता| जहाँ दया नही होती वहां वेद भी अवेद बन जाते हैं| संस्कृत श्लोक विद्यां ददाति विनयं विनयाद् याति पात्रताम् । पात्रत्वात् धनमाप्नोति धनात् धर्मं ततः सुखम् ॥