India Languages, asked by ramanandyadav5196, 10 months ago

पञ्चमं पद्यमाधत्य लिखत- कस्मात कः श्रेयः?
यथा- अभ्यासात् ज्ञानम्- ........... .................. ............
............ ............. ........... ..........

Answers

Answered by nikitasingh79
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श्रेयो हि ज्ञानमभ्यासाज्ज्ञानाद्ध्यानं विशिष्यते।

ध्यानात्कर्मफलत्यागस्त्यागाच्छान्तिरनन्तरम्।।

उत्तरम् :  

अभ्यासात् ज्ञानम्- ज्ञानात् ध्यानम्, ध्यानात् कर्मफलत्यागः, त्यागात् शान्तिः।

 

अतिरिक्त जानकारी :

प्रस्तुत प्रश्न पाठ स मे प्रियः ( वह मुझे प्यारा है) से लिया गया है। इन श्लोकों का संकलन महर्षि वेदव्यास द्वारा लिखित श्रीमद्भगवद्गीता (महाभारत का अंग) के बारहवें अध्याय से किया गया है।

इस अध्याय में भक्तियोग का विस्तृत वर्णन है। यहाँ श्रीकृष्ण ने सगुण और निर्गुण (साकार-निराकार) रूप से ईश्वर को पाने का आसान रास्ता बताया है। वास्तव में संकलित श्लोकों में प्रकट विचार आज के समाज के लिए, खासतौर पर ज्ञान-प्राप्ति की इच्छा रखने वाले छात्रों के लिए एकदम उचित एवं तर्कपूर्ण हैं। आज का मानव खुद को सब कुछ करने वाला मानकर घमंड में चूर है, बेचैन-परेशान है। वह अभ्यास और संयम को भूलकर जल्दी-से-जल्दी सारी इच्छाएँ पूरी करने की होड़ में है। इस पाठ के शीर्षक ‘स मे प्रियः' से समझ आता है कि भगवान को वे लोग प्यारे हैं जो स्वार्थ (अपना ही हित) को छोड़कर दूसरों के भले के लिए और समाज के विकास के लिए आगे बढ़ रहे हैं।

 

इस पाठ से संबंधित कुछ और प्रश्न :  

निम्नपदेषु सन्धिच्छेदः विधेयः-

अनन्यनैव, मय्येव, करुण एव, निरहङ्कारः, बुद्धिर्य:, मानावमानयोः, अभ्योऽप्यसमर्थः,

मद्योगम्, अर्थतत्, मदर्थम् ।

https://brainly.in/question/15097491

रिक्तस्थानानि पूरयत-

(क) संनियम्येन्द्रियग्राम.....

(ख) सन्तुष्टः.............योगी।

(ग) अनपेक्ष:...........दक्षः।

(घ) तेषामहं.................मृत्युसंसारसागरात्।

(ङ) शुभाशुभपरित्यागी........स मे प्रियः।

https://brainly.in/question/15097493

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