पञ्चमी, षष्ठी तत्परुुष
भी, त्रा, पत, च्यतु आदि शब्दो के योग मेपञ्चमी तत्परुुष होता हैl
यथा व्याघ्र भीः ---व्यlघ्रात्भीः l बाल भीतः ---बालात भीतः l शि क्षकः भीः ---शि क्षकात्भीः l पाप त्रायते--पापात्
त्रायतेl वक्षृ पति तः --वक्षृ ात्पति तः l ज्ञान च्यतु ---ज्ञानात्च्यतु
षष्ठी तत्परुुष ---कारक के षष्ठी वि भक्ति के परसर्ग का उपयोग ----------यथा राजा का पत्रु राजपत्रुः ------राज्ञ
:पत्रुः, राष्ट्रपति ---राष्ट्रस्य पति , गरुुवचनं-----गरुोः वचनं l
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translate ।।9.26।।मेरे भक्तोंको केवल अपुनरावृत्तिरूप अनन्त फल मिलता है इतना ही नहीं? किंतु मेरी आराधना भी सुखपूर्वक की जा सकता है। कैसे ( सो कहते हैं -- ) जो भक्त मुझे पत्र? पुष्प? फल और जल आदि कुछ भी वस्तु भक्तिपूर्वक देता है? उस प्रयतात्मा -- शुद्धबुद्धि भक्तके द्वारा भक्तिपूर्वक अर्पण किये हुए वे पत्र पुष्पादि मैं ( स्वयं ) खाता हूँ अर्थात् ग्रहण करता हूँ।
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