Hindi, asked by akleshp477, 1 month ago

पञ्चतन्त्र' इतिग्रन्थस्य परिचयं लिखत।​

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Answered by harsh9498
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नीतिकथाओं में पंचतन्त्र का पहला स्थान माना जाता है। यद्यपि यह पुस्तक अपने मूल रूप में नहीं रह गयी है, फिर भी उपलब्ध अनुवादों के आधार पर इसकी रचना तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व[1] के आस-पास निर्धारित की गई है। इस ग्रंथ के रचयिता पं॰ विष्णु शर्मा हैं, कहीं-कहीं रचयिता का नाम 'बसुभग' आया है। [2]उपलब्ध प्रमाणों के आधार पर कहा जा सकता है कि जब इस ग्रन्थ की रचना पूरी हुई, तब उनकी उम्र लगभग 80 वर्ष थी। पंचतन्त्र को पाँच तन्त्रों (भागों) में बाँटा गया है:

मित्रभेद (मित्रों में मनमुटाव एवं अलगाव)

मित्रलाभ या मित्रसम्प्राप्ति (मित्र प्राप्ति एवं उसके लाभ)

काकोलुकीयम् (कौवे एवं उल्लुओं की कथा)

लब्धप्रणाश (हाथ लगी चीज (लब्ध) का हाथ से निकल जाना (हानि))

अपरीक्षित कारक (जिसको परखा नहीं गया हो उसे करने से पहले सावधान रहें ; हड़बड़ी में कदम न उठायें)

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