panktiyon ke bahv likho lavaris ka varis bankar british rajya jhansi aayi
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‘झांसी की रानी’ सुभद्रा कुमारी चौहान की बहुत प्रसिद्ध कविता है ,जिसमें कवित्री ने वीरांगना झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की साहसिक जीवन कथा का परिचय दिया है। इसमें बताया गया है कि किस प्रकार देश की रक्षा के लिए उन्होंने अंग्रेजों से लड़ते लड़ते अपने प्राणों का बलिदान दे दिया था। इस कविता के माध्यम से छात्रों में देश प्रेम की भावना जगाने तथा मातृभूमि की रक्षा के लिए आत्मबलिदान की प्रेरणा दी गई है।
क)
प्रसंग :
यह पंक्ति सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित कविता झांसी की रानी से ली गई है ।इस कविता में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की वीरता और उनके बलिदान का सुंदर वर्णन है।
व्याख्या :
कवित्री कहती है कि अंग्रेजों की कुटिल नीति के कारण देशी राजाओं के सिंहासन हिल उठे थे वे विद्रोह करने के लिए तैयार हो गए। उस समय ऐसा लगता था मानो पूरे भारत में फिर से जवानी आ गई हो।खोई हुई आज़ादी का मूल्य सब जान चुके थे। अंग्रेजों को इस देश से दूर करने का सबसे पक्का इरादा कर लिया था अर्थात अंग्रेजों को देश से बाहर निकालने का प्रण कर लिया था।
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प्रसंग :
यह पंक्ति सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित कविता झांसी की रानी से ली गई है ।इस कविता में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की वीरता और उनके बलिदान का सुंदर वर्णन है।
व्याख्या : झांसी का दीपक बुझ जाने पर अर्थात राजा के मर जाने पर अंग्रेज गवर्नर लॉर्ड डलहौजी को बड़ी खुशी हुई क्योंकि उसे झांसी का राज हड़पने का अच्छा मौका मिल गया था। उसने तुरंत अपनी सेनाएं भेजकर वहां अंग्रेजी झंडा फहरा दिया ।इस प्रकार उस वारिस रहित झांसी के राज्य का वारिस ब्रिटिश राज्य बन गया।
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