Papaib
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कौन हो तुम वसंत के दूत
विरस पतझड़ में अति सुकुमार
घन तिमिर में चपला की रख
तपन में शीतल मंद बयार।
प्रस्तुत पंक्ति में कौन- सा रस है तथा इन पंक्तियों के रचनाकार कौन है
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Answer:
Explanation:
इन पंक्तियों में श्रृंगार रस है
यह जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित है
कौन हो तुम वसंत के दूत
विरस पतझड़ में अति सुकुमार
घन तिमिर में चपला की रख
तपन में शीतल मंद बयार।
प्रस्तुत पंक्ति में कौन- सा रस है तथा इन पंक्तियों के रचनाकार कौन है?
इन पंक्तियों में ‘अद्भुत रस’ है और इन पंक्तियों के रचयिता जयशंकर प्रसाद हैं।
व्याख्या :
यह पंक्ति ‘कामायनी’ नामक कविता की हैं, जिसकी रचना जयशंकर प्रसाद ने की थी। इन पंक्तियों में अद्भुत रस प्रकट हो रहा है। अद्भुत रस वहां प्रकट होता है जब व्यक्ति के मन में विचित्र अथवा आश्चर्यजनक वस्तुओं को देखकर विस्मय आदि के भाव उत्पन्न होते हैं और उसके अंदर रोमांच उत्पन्न होता है, आंसू आते हैं, वह कांपता है, गदगद होता है।
इन पंक्तियों में विस्मय और उत्सुकता का भाव उत्पन्न हो रहा है, इसलिए यहां पर अद्भुत है। अद्भुत रस का स्थाई भाव आश्चर्य है और संचारी भाव को उत्सुकता होता है।