Hindi, asked by madhv8467, 10 months ago

Par sare desh ke apne apne vidyapati hai is wakya ka kya arth hai

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Answered by Pahadi4498
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भारत में पूरब के महान कवि विद्यापति हैं, जिनके द्वारा लिखे गए लोकगीत आज भी प्रसिद्ध हैं, उसी प्रकार अलग अलग राज्यों में अपनी अपनी भाषा के लोकगीत गाने और लिखने वाले लोगों को vidyapati   कहा जाता है .

Answered by bhatiamona
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यह प्रश्न लोकगीत पाठ से लिया गया है | लोकगीत लेखक भगवतशरण उपाध्याय द्वारा लिखा गया है| मनोरंजन के प्रमुख साधनों में लोकगीत सबसे प्रमुख साधन है।

“पर सारे देश …….अपने-अपने विद्यापति हैं।” इस वाक्य का अर्थ है , सब जगह अपने रीती रिवाज़ होते है , अपनी भाषा बोलते है , अपना पहनावा होता है | अपनी बोली बोलते है| पूरब की बोलियों में हमेशा मैथिल-कोकिल विद्यापति के गीत गए जाते है| जिन्होंने इन गीतों की रचना की थी वो अपनी गीतों के कारण पूरब में खासे जाने गए है | परंतु इसके विपरीत सारे देश के अलग-अलग राज्यों में व उनके गांवों में वहाँ के लोग समय को व अवसर को देखकर स्वयं गीतों की रचाकर विद्यापति आज भी मौजूद है |

उसी प्रकार से सारे देश में कश्मीर से कन्याकुमारी तक और काठियावाड़ , गुजरात, राजस्थान से उड़ीसा तक सभी क्षेत्रों में लोकगीत वहां की स्थिति पर वहां के रचनाकारों द्वारा लिखे जाते हैं। इसलिए कहा है कि प्रत्येक क्षेत्र के अपने-अपने विद्यापति होते हैं।

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