Hindi, asked by TaruKulshrestha, 23 hours ago

परिभाषा और रेशम का व्यापार विशेष रूप से कर्नाटकटक में।
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Answered by harmipatel2244
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व्यक्ति रेशम उत्पादों के प्रति हमेशा जिज्ञासु रहा है । वस्त्रों की रानी के नाम से विख्यात रेशम विलासिता, मनोहरता, विशिष्टता एवं आराम का सूचक है । मानव जाति ने अद्वितीय आभा वाले इस झिलमिलाते वस्त्र को चीनी सम्राज्ञी शीलिंग टी द्वारा अपने चाय के प्याले में इसके पता लगने के काल से ही चाहा है यद्यपि इसे अन्य प्राकृतिक एवं बनावटी वस्त्रों की कई गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ा, फिर भी शताब्दियों से वस्त्रों की रानी के रूप में विख्यात, इसने निर्विवाद रूप से अपना स्थान बनाए रखा है । प्राकृतिक आभा, रंगाई एवं जीवन्त रंगों के प्रति अंतर्निहित आकर्षण, उच्च अवशोषण क्षमता, हल्का, लचकदार एवं उत्कृष्ट वस्त्र-विन्यास जैसे श्रेष्ठ गुणों ने रेशम को विश्व में किसी सुअवसर का अत्यंत सम्मोहक एवं अपरिहार्य साथी बना दिया है ।

रेशम, रसायन की भाषा में रेशमकीट के रूप में विख्यात इल्ली द्वारा निकाले जाने वाले एक प्रोटीन से बना होता है । ये रेशमकीट कुछ विशेष खाद्य पौधों पर पलते हैं तथा अपने जीवन को बनाए रखने के लिए ‘सुरक्षा कवच’ के रूप में कोसों का निर्माण करते हैं । रेशमकीट का जीवन-चक्र 4 चरणों का होता है, अण्डा, इल्ली, प्यूपा तथा शलभ । व्यक्ति रेशम प्राप्त करने के लिए इसके जीवन-चक्र में कोसों के चरण पर अवरोध डालता है जिससे व्यावसायिक महत्व का अटूट तन्तु निकाला जाता है तथा इसका इस्तेमाल वस्त्र की बुनाई में किया जाता है ।

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