Hindi, asked by makwanasanjana, 7 days ago

परिच्छेद को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखिए |
बापू का स्पष्ट मत था कि स्वर्ग का राज्य बच्चों के लिए है। बच्चों के सिवा उसमें कोई
प्रवेश नहीं कर पाता, क्योंकि बच्चे निर्दोष हुआ करते हैं | उनके जैसा छलरहित, निष्पाप और भोला-भाला
संसार में कोई नहीं, अगर किसी बच्चे में अवगुण हैं, कोई बुराई है तो यह उसका दोष नहीं। उसकी आस-
पास रहने वाले व्यक्तियों का दोष है, क्योंकि बच्चा जो कुछ सीखता है अपने आस-पास के वातावरण से
सीखता है | बच्चों को पीटना बापू की दृष्टि में एक महापाप है | कारण कोई भी हो, कैसा भी अपराध हो
गया हो, भय दिखाकर या मार-पीटकर बच्चे के साथ दुर्व्यवहार करना कभी उचित नहीं | बच्चों की
गलतियों को उन्हें प्रेम-स्नेह से समझा देना चाहिए | ऐसा करने से उनमें सुधार आ सकता है।
प्रश्न :
1. बापू की दृष्टि से क्या करना सब से बड़ा पाप है ?
2. बच्चों के सुधार के लिए बापू कौन-सा मार्ग बताते हैं ?
3. बापू के मतानुसार बच्चे किसके अधिकारी हैं ? क्यों ?
4. परिच्छेद को उचित शीर्षक दीजिए |

Answers

Answered by snvasavad64
28

Answer:

૧बच्चो को पीटना बापू की दृष्टि में सबसे बड़ा पाप है

२. जब बच्चो की गलतियों को प्रेम स्नेह से समझाएंगे तब उनमें सुधार आ सकता है

३.बापू के मत से बच्चे स्वर्ग के अधिकारी है क्योंकि वह निर्दोष और छलरहित होते है

४.बच्चे मन के सच्चे

Answered by saumyashanta
7

Answer:

1.बच्चों को पीटना

2.प्रेम तथा स्नेह

3.बच्चे स्वर्ग के अधिकारी हैं क्योंकि वे छलरहित निष्पाप तथा भोले होते हैं

4.बालमनोविज्ञान एवम् बापू

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