पराचिन छततीसगढ. की चित्रकला पर एक संक्षिपत टिपपणी लिखिए
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वारली एक प्रकार की जनजाति है। जो महाराष्ट्र् राज्य के थाने जिले के धानु, तलासरी एवं ज्वाहर तालुकाज में मुख्यत: दूसरी जनजातियों के साथ पायी जाती है। ये बहुत मेहनती और कृषि प्रदान लोग होते है। जो बास, लकडी, घास एवं मिट्टी से बनी टाइलस से बनी झोपडियों में रहतें है। झोपडियों की दीवारे लाल काडू मिट्टि एवं बांस से बांध कर बनाई जाती है, दीवारो को पहले लाल मिट्टि से लेपा जाता है उसके बाद ऊपर से गाय के गोबर से लिपाई की जाती है। वारली चित्रकला एक प्राचीन भारतीय कला है जो की महाराष्ट्र की एक जनजाति वारली द्वारा बनाई जाती है। और यह कला उनके जीवन के मूल सिद्धांतो को प्रस्तुत करती है। इन चित्रों में मुख्यतः फसल पैदावार ऋतु, शादी, उत्सव, जन्म और धार्मिकता को दर्शाया जाता है। यह कला वारली जनजाति के सरल जीवन को भी दर्शाती है। वारली कलाओं के प्रमुख विषयों में शादी का बड़ा स्थान हैं। शादी के चित्रों में देव, पलघाट, पक्षी, पेड़, पुरुष और महिलायें साथ में नाचते हुए दर्शाए जाते है।
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