परिचय इतना इतिहास यही उमड़ी कल थी मिट आज चली कवित्री महादेवी ने क्यों कहा है इस पर टिप्पणी लिखिए
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ऐसी नियति ही नहीं थी कि कोई कोना उसका अपना होता । उमड़ना और मिट जाना ही मानो उसका परिचय और इतिहास था। उपर्युक्त गीत में महादेवी वर्मा ने अपने जीवन की तुलना बदली से करते हुए अपनी विरह-वेदना को अभिव्यक्त किया है। महादेवी की करुणा और उसकी अभिव्यक्ति यहाँ अपने चरमोत्कर्ष पर है।
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