Biology, asked by omsahu3010, 7 months ago

परागकण की बाह्य चोल व अंतः चोल किससे बनी होती है एक परागकण का चित्र बनाकर उसमे निम्न भाग दरसाइए

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Answered by vermadarsh8948
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Answer:

परागकोष की संरचना

(ANTHER)

पराग कोष पुंकेसर के शीर्ष पर स्थित होते हैं इसके अनुप्रस्थ जायांग काट में चार प्रकार धानीयों दिखाई पड़ती है इसमें परागकण स्थित होते हैं परिपक्व अवस्था में चार की वजह दो बड़ी पराग धनिया बन जाती है परिपक्व पराग कोष में निम्न पते दिखाई देती है यह परतें पराग धानियों को घेरे रहती है

यह परते निम्न है-

1- epidermis- ये पराग धानी की सबसे बाहरी परत है

2- endothecium- यह बड़ी कोशिकाओं युक्त एक कोशिकीय परत है

3- मध्यपरते - यह तीन चार परते स्थित होती हैं।

4- टेपेटम- पराग धानी की सबसे भीतरी परत होती है

परागकण

प्रत्येक परागकण अल अगुडित (n) कोशिका होती है

जिसकी बाह्य छोर मोटी सख्त तथा अलगकृत होती है। यह Sporopolenin की बनी होती है। इसके भीतरी ओर अंतः चोल स्थित होती है। जो पतली झिलिनुमा पेक्टिन तथा सेल्यूलोज की बनी होती है। मध्य में रिक्तिका केंद्रक स्थित होते हैं।

1-लघुयृगमकजनन - परागों के भीतर नर युग्म बनने की प्रक्रिया लघु युग्मक जनन कहलाती है यह क्रिया प्रकरणों में ही हो जाती है

1-केंद्रक एक तरफ हट जाता है तथा बड़ी रिक्तिका बन जाती है।

2- केंद्रक में सूत्री विभाजन होता है।

3- लघु युग जनन में दो कोशिकाएं बन जाती है बड़े का एक कोशिका तथा छोटी जन्म कोशिका कहलाती है।

4- जनन कोशिका में गुणसूत्र विभाजन होता है जिससे दो नर युग्मक बन जाते हैं

2-anatropous- बीजांड द्वार तथा चैलेजा एक सिद्ध में किंतु बीजांड वृंद उलट दिशा में स्थित हो जाता है।

3- Hemotropus- बीजांड द्वार तथा चैलेजा

सीध में किंतु बीजांड वृंत के लंबवत स्थित होते हैं

4- Camphylotropus- इसमें बीजांड द्वार तथा चैलेजा सीध में स्थित नहीं होते हैं

5- Emphitropus- इसमें भ्रूण कोश भी घोड़े की नाल की तरह मुड़ जाता है

6- Sircenoteopus- इसमें बीजांड वृंत बीजांड के चारों ओर लिपटकर बीजांड आसन से दूरस्थ स्थित हो जाता है

गुरु बीजाणु जनन - प्रत्येक एक बीजांड कार्य में एक कोशिका गुरु बीजाणु मात्र कोशिका के रूप में कार्य करती है यह द्विगुणित होती है तथा अर्धसूत्री विभाजन के फल स्वरुप इससे चार अगुणित गुरु बीजाणु बनते हैं गुरु बीजाणु में सूत्री विभाजन होते हैं जिसके फलस्वरूप 8 केंद्रक बनते हैं इन केंद्रों के चारों ओर कोशिका द्रव्य एकत्रित होकर भ्रूण के भीतर 8 कोशिकाओं का निर्माण करते हैं।

1- बीजांड द्वार की तरफ स्थित की कोशिका अंड उपकरण कहलाती है

2- चैलेंज की तरफ तीन एंटीपोडल कोशिकाएं पाई जाती है

3- मध्य में दो केंद्रक मिलकर द्वितीयक केंद्रक बनाते हैं

परागण- पुष्प के परागकोष से पराग कणों का निकलकर वर्तिकाकाग्र तक पहुंचने की क्रिया परागकण कहलाती है

स्वपरागण- यह दिल लिंगी पुष्प में होता है जब किसी पुष्प में पूंकेशर से परागकण निकलकर उसी पुष्प के वर्तिकाग्र तक पहुंचते हैं उसे स्वपरागण कहते हैं।

A- Homogemi- जब द्विलिंगी पुष्प में परागण द्वारा वर्तिका ग्रह एक साथ परिपक्व होकर स्व परागण क्रिया संपादित करते हैं उसे होमोगामी कहते हैं

उदाहरण मिराबिलिस जलापा आर्जीमोन मैक्सिकना।

B- chesmogemi-परागकण के समय पुष्प का खुला होना

C- Chlistogemi - परागकण के समय पुष्प का बंद होना।

2- परपरागण - यह सामान्य तथा एक लिंगी पुष्प में होता है एक पुष्प से परागकण निकलकर दूसरे पुष्प के पराग कोष में पहुंचने की क्रिया स्वपरागण कहलाती है उदाहरण - पपीत

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