) परागण के प्रकार बताकर प्रत्येक के बारे में संक्षेप में समझाइए।
Answers
पराग कण के प्रकार:- तीन प्रकार के होते है।
1 स्व-युग्मन (auto gamy )
2 सजातपुष्पी (gateinogamy )
3 पर-परागण (xenogamy )
1) स्व-युग्मन:-
परागकोश के स्फूटन से परागकणों का उसी पुष्प की वर्तिकाग तक पहुंचने की क्रियाको स्व-युग्मन कहते है।
2) सजात पुष्पी परागण:-
परागकोश के स्फूटन से परागकणों का उसी पादप के अन्य पुष्प की पतिकाग्र तक पहुंचने की क्रिया को सजातपुष्पी परागण कहते है।
सजातपुष्पी परागण क्रियात्मक रूप में पर-परागणहोता है किन्तु आनुवाँशिक रूप से यह स्व परागण ही होता है।
3) पर-परागण:-
परागकोश के स्फूटन से परागकणों कानुसी जाति के अन्य पादप के पुष्प के वतिकाग्र तक पहुंचने की क्रिया को पर-परागण कहते है।
पर-परागण के साधन/अभिकर्मक/वाहक-कारक/प्रकार:-
अनीवीय कायम:- जल व वायु
जल परागण:- यह अत्यंत सिमित होता है यह लगभग
उदाहरण:-आवृतबीजी वंशो मे पाया जाता है जिनमें अधिकांश एक बीजपत्री पादप होते है।
जैसे:- वैलेस्नेरिया, इाइट्रिला स्वच्छ जलीय जोस्टेरा समुद्री घास।
Explanation:
परागण के प्रकार बताकर प्रत्येक के बारे में संक्षेप में समझाइए।