परीक्षा के 3 घंटे के ऊपर निबंध.
Answers
Explanation:
प्रस्तावना:
परीक्षा प्रारम्भ होने के निर्धारित समय से आधा घण्टा से अधिक पहले से ही लड़के और लड़कियों परीक्षा भवन पहुंचने लगते हैं । एक के बाद एक रिक्शा या ताँगा परीक्षा भवन के सामने रुकता है ।
उस पर बैठे लड़के और लडकियाँ उतर कर परीक्षा भवन के सामने एकत्र होते रहते हैं । कुछ लड़के और लड़किया साइकिलों पर आते है । कुछ बच्चों त्हे अभिभावक उन्हें अपने स्कूटर पर छोड़ जाते है, जबकि कुछ अन्य पैदल आते दिखाई देते हैं ।
कुछ अमीर विद्यार्थियों को मां-बाप या ड्राइवर उन्हे कार में परीक्षा भवन तक छोड़ जाते हैं । धीरे-धीरे वहीं लड़के और लड़कियो का जमाव हो जाता है । कुछ लड़के और लड़कियां रंगीन फैशनेबल कपड़े में बने ठने आते है, जबकि कुछ अन्य सीखे-सादे कपडों में दिखाई देते हैं ।
जमाव का वर्णन:
परीक्षा भवन के बाहर लड़के और लड़कियाँ दो-दो चार-चार के गुटों में यहाँ-वहाँ खड़े रहते हैं । वे एक-दूसरे से परीक्षा और प्रश्नपत्र के बारे में बाते करते हुए अनुमान लगाते हैं कि प्रश्नपत्र में क्या पूछा जायेगा । बातों-बातों में कोई एकदम गम्भीर और उदास हो उठता है, क्योंकि उसने किसी संभाव्य प्रश्न को अच्छी तरह तैयार नहीं किया था ।
वह गुट से अलग होकर किताबों और कॉपियों के पन्ने पलट कर उस सवाल के कुछ महत्त्वपूर्ण पहलुओं को दुहराने लगता है । वे सभी परीक्षा भवन के दरवाजे खुलने का बेसब्री से इन्तजार करते हैं । कुछ लड़कों के माँ-बाप या रिश्तेदार उनका हौसला बढ़ाते भी दिखाई पड़ते हैं और प्रश्नों को हल करने के लिए सुझाव देते है ।
विद्यार्थियों की मनःस्थिति:
परीक्षा भवन के बाहर खड़े सभी लड़कों और लड़कियों के चेहरे से बड़ी उत्सुकता झलकती है । कुछ के चेहरे पर भय के भाव भी देखे जा सकते हैं । सभी के मन में भावी प्रश्नपत्र की उत्कंठा रहती है । वे आपस में प्रश्नपत्र और उसी विषय के बारे में बातें करते है ।
कुछ विद्यार्थी महत्त्वपूर्ण बातें संक्षेप में लिख कर लाते हैं और उसे तेजी से दुहराते दिखाई देते हैं । बगीचे, बरामदे तथा लीन में जगह-जगह पुस्तकें और कॉपियों खोले लड़के और लडकियाँ जल्दी-जल्दी पन्ने पलटते दिखाई पडते हैं । वे संभावित प्रश्नों का अनुमान लगाते हैं उघैर उन प्रश्नों पर आपस में विचार-विमर्श करते हैं ।
Explanation:
परीक्षा का परिचय
परीक्षा के दिन विद्यार्थी के लिए बड़े कठिन दिन होते हैं । इन दिनों परीक्षार्थी अपनी समस्त ध्यान अपने पढ़ाई की ओर फोकस कर अपना सारा ध्यान किताबों में देकर सम्भावित प्रश्नों को याद करने में लगा देता है। ये दिन उनके लिए परीक्षा-देवो को खुश कर के उनके लिए अनुष्ठान करने के दिन होता है। गृहकार्यों से मुक्ति, खेल- तमाशों से छुट्टी और मित्रों- साथियों से दूर रहने का दिन हैं। परीक्षा विद्यार्थी के लिए किसी भय से काम नहीं है। जैसे कोई भूत सर पर सवार हो, और उसकी रातों की नींद हराम हो जाती है। ना तो विद्यार्थी को भूख लगती है और अगर उस समय कोई रिश्तेदार घर आ जाए तो उनसे ना मिलना अच्छा लगता है । और दूरदर्शन के मनोरंजक कार्यक्रम, चित्रहार आदि समय नष्ट करने के माध्यम जैसा लगते हैं।
परीक्षा का बुखार
परीक्षा के इन कठिन दिनों में परीक्षा का बुखार चढ़ा होता है, जिसका तापमान परीक्षा कक्ष में प्रवेश करने तथा प्रश्न-पत्र हल कर के परीक्षा कक्ष से बाहर आने तक लगातार चढ़ता रहता है। फिर अगले विषय की तैयारी की चिंता लगी रहती है। विद्यार्थी परीक्षार्थी लगातार पढ़ने के कारन वो आराम नहीं कर पाते जिस वजह से उनका मन छटपटाता रहता है। परीक्षक से विद्यार्थी क्रोधी बन जाता है तथा उन्हें किसी से बात करना भी अच्छा नहीं लगता है।
अनुचित प्रयोग
वर्ष के सुरुवात से ही नियमपूर्वक अध्ययन न करने वाला विद्यार्थी परीक्षा के इन कठिन दिनों में हनुमान् जी की भाँति एक ही उड़ान में परीक्षा-समुद्र को लाँघने के प्रयास में लग जाते है। वह सहायक पुस्तकों का आसरा ढूँढ़ते है, कोई भी पुस्तक को देवता समझकर उसे पूजना शुरू कर देते है। परीक्षा के कठिन दिनों में कई छात्र नकल का सहारा लेकर पास होने के प्रयास करने लगते है। कई छात्र निरीक्षक को लोभ-लालच या धमकी देने की कोशिश करने का प्रयास करते है। फिर नकल के लिए कई प्रश्नों के उत्तर लिखकर अपने कपड़ो में छिपाकर परीक्षा कक्ष में ले जाते है। परीक्षा कक्ष में नकल की घबराहट में पढ़े कुछ रहते है, और लिखकर कुछ आ जाते है।
प्रश्न पत्र को लेकर आशंकित
परीक्षा के इन कठिन दिनों में परीक्षार्थी दिन रात इसी डर में रहते है की परीक्षा में क्या सब आएगा और क्या नहीं आएगा। अपने अध्यापक की सहायता से प्रश्नों का खोज कर उनका उत्तर ढूंढने के प्रयास में लग जाते है। परीक्षक प्रश्न-पत्र के माध्यम से उनके पुरे वर्ष की तैयारी का जायजा करते है ।
परीक्षा को लेकर मन में डर
परीक्षा का समय तीन घंटे तय होते है । यह तीन घंटे का एक-एक क्षण विद्यार्थी के लिए कीमती होता है। प्रश्न-पत्र को अच्छी तरह समझकर हल करना और भी कठिन कार्य होते है। किसी प्रश्न या प्रश्नों का उत्तर लम्बा लिख दिया तो अन्य प्रश्न छूटने का भय मन में बना रहता है। उत्तर प्रश्नों के अनुसार न दिए तो अंकों का कम होने की आशंका रहती है। विचारों को व्यक्त करने के लिए भाषा अनुकूल न बनी, तो भी गड़बड़ होने की आशंका होती है। सबसे बड़ी कठिनाई तो तब आती है, जब रटा हुआ उत्तर लिखते-लिखते दिमाग में सारे उत्तर मिल जाते है । परीक्षा के इन कठिन दिनों को साहसपूर्वक पार करने का अर्थ है सफलता का वरण करना । इसके लिए अनिवार्य है सुरुवात से ही पढाई पर ध्यान दे। बार-बार पढ़ने से, सहायक पुस्तकों तथा अध्यापकों के सहयोग से कठिनाई दूर हो जाती है।
आत्मविश्वास जरुरी है
परीक्षा के दिनों में आत्म-विश्वास को बनाए रखे तथा जो कुछ पढ़ा है, समझा है, उस पर भरोसा रखे। परीक्षा कक्ष के लिए जाने से पहले अपने मन को शांत रखे। कोई अध्ययन सामग्री साथ न लो, न कहीं से पढ़ने-देखने की चेष्टा करो। परीक्षा कक्ष में प्रश्न-पत्र को दो बार पढ़ो। जो प्रश्न के उत्तर सबसे बढ़िया लिख सकते हो, उस उत्तर को पहले लिखो | उत्तर लिखने के बाद उस उत्तर को एक बार अच्छे पढ़ लो | उत्तर को अंकों के अनुसार छोटा या बड़ा करना न भूलो। यदि कोई प्रश्न अधिक कठिन है, तो उस पर कुछ क्षण विचार करके उसे अंत में करे। इससे परीक्षा के कठिन दिनों की पीड़ा से थोड़ा छुटकारा महसूस होगा। कठिनाई को सरल बनाना या समझना मानव मन के अटलता और विवेक पर निर्भर है।