परीक्षा के परिणाम की प्रतीक्षा करने वाले दो मित्रों के मध्य कोई बातचीत को संवाद के रूप में 80 से100 शब्दों में लिखिए |
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लेखन कौशल संवाद लेखन
संवाद दो शब्दों ‘सम्’ और ‘वाद’ के मेल से बना है, जिसका अर्थ है-बातचीत करना। इसे हम वार्तालाप भी कहते हैं। दो व्यकि तयों के मध्य होने वाली बातचीत को संवाद कहा जटा है
संवाद व्यक्ति के मन के भाव-विचार जानने-समझने और बताने का उत्तम साधन है। संवाद मौखिक और लिखित दोनों रूपों में किया जाता है। संवाद में स्वाभाविकता होती है। इसमें व्यक्ति की मनोदशा, संस्कार, बातचीत करने का ढंग आदि शामिल होता है। व्यक्ति की शिक्षा-दीक्षा उसकी संवाद शैली और भाषा को प्रभावित करती है। हमें सामने वाले की शिक्षा और मानसिक स्तर को ध्यान में रखकर संवाद करना चाहिए। इसी बातचीत का लेखन संवाद लेखन कहलाता है।
प्रभावपूर्ण संवाद बोलना और लिखना एक कला है। इसके लिए निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए –
संवाद की भाषा सरल, स्पष्ट और समझ में आने वाली होनी चाहिए।
संवाद बोलते समय सुननेवाले की मानसिक क्षमता का ध्यान रखना चाहिए।
वाक्य छोटे और सरल होने चाहिए।
संवादों को रोचक एवं सरस बनाने के लिए सूक्तियों एवं मुहावरों का प्रयोग करना चाहिए।
संवाद लिखते समय विराम चिह्नों का प्रयोग उचित स्थान पर करना चाहिए।
बोलते समय बलाघात और अनुतान को ध्यान में रखना चाहिए।
एक बार में एक या दो वाक्य बोलकर सुनने वाले की प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा करनी चाहिए।
संवाद-लेखन के कुछ उदाहरण
प्रश्नः 1.
उत्तराखंड में पिछले सप्ताह भूकंप आ गया था। आप अपने मित्र के साथ भूकंप पीड़ितों की मदद के लिए जाना चाहते हैं। आप अपने मित्र और स्वयं के बीच हुए संवाद का लेखन कीजिए। आप समीर हैं।
उत्तरः
समीर – संजय, क्या तुम्हें उत्तराखंड में आए भूकंप की कुछ जानकारी मिली?
संजय – हाँ समीर, कल शाम को मैं अपने पापा के साथ दूरदर्शन पर समाचार देख रहा था तभी इस बारे में जान गया।
समीर – ऐसी प्राकृतिक आपदा देखकर मेरा तो मन भर आया।
संजय – ठीक कहा समीर तुमने, टूट-फूट चुके घर, तबाह हो गई जिंदगियाँ, धंसी ज़मीन, टूटी सड़कें, जगह-जगह शरणार्थी से बैठे लोगों को देखकर आँखों में आँसू आ गए।
समीर – मित्र, मैंने तो इन लोगों के आँसू पोछने के लिए सोचा है।
संजय – क्या मतलब? .
समीर – हमें इन लोगों की मदद करनी चाहिए।
संजय – हमारे पास साधन भी तो नहीं है।
समीर – दृढ़ इच्छा और लगन से सब कुछ संभव है। मैंने अपने स्कूल के कुछ छात्रों से बात की तो वे सहर्ष तैयार हो गए हैं। आज हम अपना-अपना सहयोग देंगे। इनमें दवाएँ, माचिस, मोमबत्तियाँ, कपड़े, खाने का सामान आदि होगा।
संजय -फिर?
समीर – इन्हें लेकर मैं उत्तराखंड के उन शिविरों में जाऊँगा, जहाँ पीड़ित भूखे-प्यासे बैठे हैं।
संजय – मैं भी तुम्हारे साथ चलूँगा। मैं भी उनकी कुछ सेवा करना चाहता हूँ।
समीर – यह तो बहुत अछि बात होगी।
संजय – मैं कल सवेरे ही तुमसे मिलता हूँ।