परीक्षा के समय का वातावरण विषय पर अनुच्छेद लिखिए
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Explanation:
अनुच्छेद लेखन भी कला है। किसी विषय पर सीमित शब्दों में अपने विचार लिखना ही अनुच्छेद लेखन है। यदि अनुच्छेद को ‘लघु निबंध’ कहा जाए तो गलत न होगा। इसमें शब्द सीमा के भीतर विषय-परिचय, वर्णन व निष्कर्ष लिखने होते हैं। इस प्रकार अनुच्छेद को निबंध का लघुतम रूप कहा जा सकता है।
अनुच्छेद लिखने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए।
अनुच्छेद की भाषा सरल होनी चाहिए।
भाषा संक्षिप्त, भाव प्रधान, अर्थपूर्ण और प्रभावोत्पादक होनी चाहिए।
कक्षा आठवीं 125-150 शब्द होनी चाहिए।
इसमें अनावश्यक विस्तार नहीं होना चाहिए।
इसमें शब्द-चयन पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
वाक्यों में परस्पर संबंध होना चाहिए।
आवश्यकता हो तो मुहावरे या लोकोक्ति का प्रयोग कर विषय-वस्तु को और रोचक बनाया जा सकता है।
अनुच्छेद के कुछ उदाहरण
1. मीठी वाणी
वाणी से ही सबकी पहचान होती है। इसीलिए किसी कवि ने ठीक ही कहा है
‘बोली एक अनमोल है जो कोई बोले जानि’
‘हिए तराजू तोलि के तब मुख बाहर आनि’।
मनुष्य वाणी के द्वारा ही दूसरे को अपना मित्र या शत्रु बना लेता है। मीठी वाणी बोलने से आप अपने विरोधियों को भी अपने पक्ष में कर सकते हैं और इससे मन को शांति मिलती है। मीठी वाणी से मनुष्य समाज में सम्मान प्राप्त करता है। मीठा बोलकर लोगों का दिल जीत सकते हैं। मधुर वाणी से शत्रु का हृदय भी जीता जा सकता है। ‘वाणी’ मनुष्य का आभूषण है। संसार में सभी मनुष्य मीठी वाणी बोलें, तो परस्पर प्रेम और शांति से मिलकर रह सकेंगे। इसके माध्यम से समस्त संसार की समस्याओं का समाधान निकल पाएगा। इसीलिए किसी कवि ने कहा है कि- ‘मधुरवचन है औषधि, कटुक वचन है तीर’ मधुर वचन औषधि के समान होते हैं, जबकि कटु वचन तीर के समान।
Answer:
Explanation:
परीक्षा का प्रथम दिन छात्रों के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण होता है। वे उत्सुकता के साथ इसकी प्रतीक्षा करते हैं। वे अकसर परीक्षा के प्रथम दिन उत्तेजित और घबराए रहते है। उनका विश्र्वास रहता है कि यदि वे पहले दिन अच्छा करेंगे तो वे परीक्षा में सफलता प्राप्त कर सकते है। इसलिए परीक्षा का प्रथम दिन भयानक लगता है।
मेरी गत वार्षिक परीक्षा के प्रथम दिन की याद मेरे मन में ताजी है। मैंने परीक्षा के लिए अच्छी तरह तैयारी नहीं की थी। इसलिए मैं परीक्षा के पहले दिन बहुत घबराया हुआ था। मैं उदासी के साथ घर से रवाना हुआ। मैं सोचने लगा कि मैं परीक्षा-भवन में किसी भी पश्र का उत्तर नहीं दे सकूँगा। इसलिए मेरा मन निराशा और पश्र्चातत्ताप से भर गया। मैं महसूस करने लगा कि मैंने साल भर अध्ययन की उपेक्षा की थी। मैं धीरे-धीरे परीक्षा-भवन की ओर चला। अंत में मैं विद्यालय पहुँचा। विद्यालय का परिचित भवन अजीब और भयानक लगता था। मैं अनिच्छा के साथ परीक्षा-भवन की ओर चला। मैंने उदास मन से परीक्षा-भवन में प्रवेश किया। मैं अपनी जगह खोजकर बैठ गया। मेरे कुछ मित्र जोर-जोर से बातें कर रहे थे, लेकिन मुझे बात करने की इच्छा नहीं थी। अभी भी कुछ समय था और मैं उसे बरबाद करना नहीं चाहता था। मैंने अपनी कापी लेकर उसे उलटना शुरू किया। जब घण्टी बजी तब मैं घबरा गया।
मैं अपनी कापी को रखकर अपनी जगह पर बैठ गया। जब मुझे उत्तर-पुस्तिका मिली। तब मेरा ह्रदय धड़कने लगा। मैंने अपने को सँभालने की कोशिश की। तब घण्टी बजी और एक निरीक्षक ने मुझे पश्रपत्र दिया। मैं भय से काँप रहा था। जब मैंने पश्रपत्र देखा तो मैंने पाया कि पश्र आसान थे। इसलिए मेरा भय दूर हो गया और मैंने उन पश्रों को चिहित किया, जिनका उत्तर मुझे देना था। मैंने प्रश्रों के उत्तर लिखना प्रारंभ किया। जब मैंने पहले पश्र का उत्तर लिखना समाप्त किया तब मैंने पाया कि उसमें काफी समय लग गया था। इसलिए मैं जितनी तेजी से लिख सकता था उतनी तेजी से लिखने लगा। चेतावनी की घण्टी बजने के पहले मैंने सभी पश्रों का उत्तर दे दिया। तब मैंने उनको दुहराया। मैंने महसूस किया कि मैंने अंतिम दो पश्रों के उत्तर अच्छी तरह नहीं दिया था। इसके बावजूद मुझे अपनी उत्तर-पुस्तिका एक निरीक्षक को दे दी। मैं मुस्कराते हुए परीक्षा-भवन के बाहर आया।