परीक्षा में असफल हुए बहन को साांत्िना ि् प्रेरणा देते हुए पत्र |
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495, कालकाजी,
नई दिल्ली मेरी मीना
शुभाशीष।
आज की डाक से माता जी का पत्र प्राप्त हुआ। यह जानकर अत्यंत भावपूर्ण दुःख हुआ। कि तुमवीं कक्षा की परीक्षा में सफल नहीं हो सकी हो। मुझे इस वर्ष पहले से ही आपके उत्तीर्ण होने की आशा कम थी, क्योंकि वर्ष में पूरे पांच महीने नम बीमार बने हुए थे कल न नकाब को। इसमें आपका कोई दोष नहीं है। इसमें होने की कोई बात नहीं है।
जीवन में सफलता-असफलता तो आती-जाती रहती है। असफल होना भी कभी-कभी वरदान सिद्ध होता है। किसी ने ठीक ही कहा है कि-असफलता, सफलता की कठोरता है। सामान्य सफलता की अपेक्षा शानदार सफलता करना कहीं से श्रेयस्कर है। बाड़ फिर से तैयार होने का एक संकेत है। अतः अभी से अगली परीक्षा की तैयारी दो
मुझे पूर्ण आशा है कि आप अपने हुड से निराशा का भाव त्याग दोगी और 4 और पूर्ण आशा के साथ अध्ययन में जुट जागी। परम पूज्य माता जी को सादर प्रणाम और पिताजी को चरण स्पर्श टीटू तया नीतु को प्यार किया।
तुम्हारा अग्रज
दिनेश
दिनांक: २० मई, १ ९९९
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