परीक्षा नाम पर भय पर अनुच्छेद लिखना है
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परीक्षा का भय एक ऐसा एहसास है जो सभी विद्यार्थियों को होता है। जो छात्र मेधावी और परिश्रमी होते हैं वो पूरे वर्ष पर निरंतर पढ़ाई करते रहते हैं उनके मन में परीक्षा के समय भय नहीं होता है, क्योंकि उन्होंने अपनी पढ़ाई भली-भांति की है और परीक्षा की तैयारी अच्छे से की है। .
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परीक्षा का भय एक ऐसा एहसास है जो सभी विद्यार्थियों को होता है। जो छात्र मेधावी और परिश्रमी होते हैं वो पूरे वर्षपर निरंतर पढ़ाई करते रहते हैं उनके मन में परीक्षा के समय भय नहीं होता है, क्योंकि उन्होंने अपनी पढ़ाई भली-भांति की है और परीक्षा की तैयारी अच्छे से की है। ..छात्र जीवन , जीवन का सबसे सुनहरा दौर होता है। जब बच्चे मौज-मस्ती के साथ-साथ खूब मेहनत कर अपने जीवन को एक दिशा देने के लिए प्रयासरत रहते है। लेकिन इस जीवन में “परीक्षा” नाम के एक शब्द से सभी छात्रों को बहुत अधिक डर लगता है। हो भी क्यों ना , क्योंकि इन्हीं परीक्षाओं के मूल्यांकन के आधार पर हमारे भविष्य की रूपरेखा तय होती हैं। इसीलिए जैसे-जैसे मेरी परीक्षायें नजदीक आ रही थी । मेरे अंदर डर बढ़ता जा रहा था।
हालाँकि अब मैं अपना अधिक समय पढ़ाई में ही बिता रहा था। हर विषय के हर अध्याय को बार-बार दोहरा कर याद करने की कोशिश कर रहा था। फिर भी मुझे यह डर लग रहा था कि कहीं परीक्षा की घबराहट में , मैं कुछ भूल न जाऊं। परीक्षा का तनाव कम करने के लिए मैं शाम को थोड़ी देर के लिए पास के ही एक पार्क में घूमने चला जाता था । परीक्षा शुरू होने के लगभग एक सप्ताह पहले ही मैंने अपने हर विषय की पर्याप्त तैयारी कर ली थी। लेकिन फिर भी मन में परीक्षा को लेकर तरह-तरह की आशंकाएं थी।
आखिरकार परीक्षा का दिन आ पहुंचा। मैं सुबह जल्दी उठकर अपनी सारी तैयारी के साथ परीक्षा भवन में पहुंच गया। प्रश्नपत्र मिलने से पहले भी मन में डर समाया हुआ था लेकिन मैंने अपने आप को तनावमुक्त रखने का भरसक प्रयास किया। आखिरकार हमारे क्लास टीचर ने हमें प्रश्नपत्र दिया। प्रश्न पत्र लेने के बाद मैंने हर प्रश्न को ध्यान से पढ़ना शुरू किया और 10 मिनट तक पढ़ता चला गया ।
पूरे प्रश्नपत्र को पढ़ने के बाद मुझे लगा कि मैं इस प्रश्नपत्र को आसानी से हल कर सकता हूं क्योंकि मुझे सभी प्रश्नों के जवाब याद थे। अब मेरी सारी घबराहट दूर हो चुकी थी। और मैं आराम से एक-एक कर सभी प्रश्नों के उत्तर लिखने में व्यस्त हो गया
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस यानि COVID-19 को एक महामारी घोषित किया हैं। इस महामारी की शुरुवात दिसंबर 2019 में चीन के वुहान शहर से हुई । लेकिन धीरे-धीरे यह महामारी दुनिया के प्रत्येक देश में फैल गई।
आकर में इन्सान के बाल से भी लगभग 900 गुना छोटा यह वायरस बेहद जानलेवा हैं। और इसका संक्रमण एक इंसान से दूसरे इंसान में बहुत तेजी से होता है जिस कारण यह कुछ ही समय में पूरी दुनिया के लोगों में फैल गया। इस बीमारी के संक्रमण से हजारों लोग अब तक अपनी जान गँवा बैठे हैं और लाखों लोग अभी भी संक्रमित हैं।
इसके संक्रमण के शुरुवात में जुकाम , खांसी और सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्या होती है।यह वायरस इंसान के फेफड़ों में सीधा असर करता है। इस बीमारी से बचने के लिए अभी दुनिया में किसी के पास कोई टीका , दवा या वैक्सीन नहीं है। इसीलिए इस बीमारी में सावधानी व सामाजिक दूरी ही सबसे बड़ा व एकमात्र बचाव है। इसीलिए आप संक्रमित लोगों के आसपास ना जाए , भीड़भाड़ वाले इलाकों , समारोहों या सामाजिक कार्यक्रमों से दूरी बनाए रखें।
कोरोनावायरस से बचाव के लिए 25 March 2020 से पूरे देश में लॉकडाउन किया गया। जिसके कई सकारात्मक प्रभाव देखने को मिले। सबसे बड़ा सकारात्मक प्रभाव तो यह रहा कि लोग अपने घरों में रहने के कारण व सामाजिक दूरी बनाने के कारण इस बीमारी की चपेट में आने से बचे रहें।
दूसरा सभी वाहनों , कल कारखानों , उद्योग धंधों , ऑफिस व स्कूलों के बंद होने से प्रदूषण के स्तर में भी काफी कमी आई। प्रकृति को भी अपने आप को एक बार शुद्ध , साफ व स्वस्थ होने का मौका मिला। लोगों ने अपने घर परिवार व अपने परिजनों के साथ खूब समय बिताया और सबसे अच्छी बात यह रही कि ओजोन परत के स्वास्थ्य में भी सुधार देखने को मिला। जंक फूड एक ऐसा भोजन हैं जो देखने में बहुत ही आकर्षक और खाने में बहुत स्वादिष्ट होता हैं जंकफूड को सेहत के लिए नहीं बल्कि स्वाद के लिए खाया जाता हैं। जंक फूड में पोषक तत्वों की भारी कमी होती है लेकिन इनमें फैट , कैलोरीज , शुगर , नमक और बुरे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बहुत अधिक होती हैं । इनमें कई तरह के हानिकारक रसायन मिलाये जाते हैं।
जंक फूड भले ही स्वास्थ के लिए बहुत हानिकारक होता हैं। मगर ये लगभग सभी आयु वर्ग के लोगों द्वारा बड़े चाव खाया जाता है। खास कर युवा पीढ़ी तो जंक फूड की दीवानी हैं। और कुछ लोगों ने तो इसे खाना अपना स्टेटस सिंबल बना लिया हैं।