पर मोहन राकेश की भाषा - शौली पर प्रकाश डालीए
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मोहन राकेश नई कहानी के युग के प्रतिष्ठित कथाकार, उपन्यासकार, नाटककार रहे हैं। अपने दौर के विचार और संवेदना के परिदृश्य के निर्माण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। मोहन राकेश की रचनाएं लेख पाठकों के दिल को छू जाती है। उनके रचनाओं की भाषा शैली इतनी मर्मस्पर्शी और रोचक होती थी कि पाठक उनके शब्दों के सागर में डूब जाता था। मोहन राकेश ने अपनी कहानियों द्वारा हिंदी कहानी का परिदृश्य ही बदल दिया। मोहन राकेश की रचना प्रासंगिकता अकारण नहीं है। यथार्थ के दर्पण में उन्होंने न जाने कितने आदर्श स्वप्न और संकल्प देखे थे। उनकी रचनाओं की भाषा शैली तेजी से बदलते आधुनिक जीवन तथा व्यक्तित्व का खाका प्रस्तुत करती है। उनकी रचनाओं में आर्थिक संघर्ष, स्त्री पुरुष संबंध का बड़ी सूक्ष्मता से चित्रण रहता था। मोहन राकेश ने अपनी रचनाओं के माध्यम से अपने समय को रचा और उन्होंने अपने निबंधों के माध्यम से समय की नब्ज टटोलने की कोशिश की है। मोहन राकेश ने जो भी लिखा पूर्णता बेबाकी और बेलाग होकर लिखा है।