परिमल-हीन पराग दाग-सा बना पड़ा है।
हा! यह प्यारा बाग खून से सना पड़ा है।
आओ, प्रिय ऋतुराज ! किंतु धीरे से आना
यह है शोक-स्थान यहाँ मत शोर मचाना।।
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परिमल-हीन पराग दाग-सा बना पड़ा है।
परिमल-हीन पराग दाग-सा बना पड़ा है।हा! यह प्यारा बाग खून से सना पड़ा है।
परिमल-हीन पराग दाग-सा बना पड़ा है।हा! यह प्यारा बाग खून से सना पड़ा है।आओ, प्रिय ऋतुराज ! किंतु धीरे से आना
परिमल-हीन पराग दाग-सा बना पड़ा है।हा! यह प्यारा बाग खून से सना पड़ा है।आओ, प्रिय ऋतुराज ! किंतु धीरे से आनायह है शोक-स्थान यहाँ मत शोर मचाना।।
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