परिमल की गोष्ठियों में फादर की क्या स्थिति थी लेकर तथा अन्य प्रतिभागियों के साथ उनके संबंध कैसे थे
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'परिमल' लेखक, पिता और उनके साथियों द्वारा मिलकर बनाई गई एक साहित्यिक संस्था थी।
Explanation:
पिता 'परिमल' के संगोष्ठियों में गम्भीर वाद-विवाद किया करते थे और लेखक और उसके साथियों की रचनाओं पर अपनी स्पष्ट राय व्यक्त करते थे। वह उन लोगों को सुझाव देता था, उनके पारिवारिक उत्सवों और संस्कारों में भाग लेता था और उन्हें आशीर्वाद भी देता था।
पिता की स्मृति का गुणगान करने के लिए सभी को उस पारिवारिक रिश्ते में बांधा गया जिसमें पिता सबसे बड़े थे।
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