Hindi, asked by sanskar9753, 7 months ago

(४) परिणाम लिखो:
१. गेहूँ के दानों को बोने का परिणाम-
३. दूसरी राजकुमारी का संदूकची में दाने रखने का परिणाम-
२. सभी के उत्तर सुनकर राजा पर हुआ परिणाम-
४. पहली राजकुमारी को कड़ककर पूछने का परिणाम

Attachments:

Answers

Answered by Anonymous
7

Answer:

२. वारयस कौन?

- ववबा यानी

एक याजा था। उसके चाय फेटिमाॉथीॊ। याजा ने सोचा कक इन चायों भेंसे जो सफसे फवुिभती होगी, उसे

ही अऩना याजऩाि सौंऩेगा। इसका पै सरा कै से हो? वह सोचने रगा। अॊत भेंउसे एक उऩाम सझू

गमा।

उसने एक टदन चायों फेटिमों को अऩने ऩास फरु ामा। सबी को गेहूॉके सौ-सौ दानेटदए औय कहा, "इसे

तभु अऩने ऩास यखो, ऩाॉच सार फाद भैंजफ इन्हें भाॉगॉगू ा तफ तभु सफ भझु े वाऩस कय देना।"

गेहूॉके दाने रेकय चायों फहनेंअऩने-अऩने कभये भेंरौि आईं। फड़ी फहन ने उन दानों को खखड़की के

फाहय पें क टदमा। उसने सोचा, 'आज से ऩाॉच सार फाद वऩता जी को गेहूॉके इन दानों की माद यहेगी

क्मा? औय जो माद बी यहा तो क्मा हुआ........, बॊडाय से रेकय दॉगू ी।'

दसू यी फहन ने दानों को चाॉदी की एक डडब्फी भेंडारकय उसे भखभर के थैरे भेंफॊद कयके सयुऺा से

अऩनी सदॊ कू ची भेंडार टदमा। सोचा 'ऩाॉच सार फाद जफ वऩता जी मे दाने भाॉगेंगे, तफ उन्हेंवाऩस

कय दॉगू ी।'

तीसयी फहन फस सोचती यही कक इसका क्मा करॉ। चौथी औय छोिी फहन तननक फच्ची थी। शयायतें

कयना उसे फहुत ऩसॊद था। उसेगेहूॉके बनु े दाने बी फहुत ऩसॊद थे। उसने दानों को बनु वाकय खा

डारा औय खेर भेंभग्न हो गई।

तीसयी याजकुभायी को इस फात का मकीन था कक वऩता जी ने उन्हेंमूॉही मे दानेनहीॊ टदए होंगे।

जरय इसके ऩीछे कोई भकसद होगा। ऩहरेतो उसने बी अऩनी दसू यी फहनों की तयह ही उन्हें

सहेजकय यख देनेकी सोची, रेककन वह ऐसा न कय सकी। दो-तीन टदनों तक वह सोचती यही, कपय

उसनेअऩने कभये की खखड़की के ऱ जभीन भेंवे दाने फो टदए। समय र र

य र , ऱ र म र य र सऱ म स ऱ और र स इस तयह

ऩाॉच वषों भेंउसके ऩास ढेय साया गेहूॉतैमाय हो गमा।

ऩाॉच सार फाद याजा नेकपय चायों फहनों को फरु ामा औय कहा- "आज से ऩाॉच सार ऩहरे भैंनेतभु

चायों को गेहूॉके सौ-सौ दानेटदए थेऔय कहा था कक ऩाॉच सार फाद भझु े वाऩस कयना। कहाॉहैंवे

दाने?"

फड़ी याजकुभायी बॊडाय घय जाकय गेहूॉके दाने रेआई औय याजा को दे टदए। याजा ने ऩछू ा, "क्मा य

दाने हैंजो भैंनेतम्ुहें टदए थे?"

ऩहरेतो याजकुभायी ने'हाॉ' कह टदमा। भगय याजा नेकपय ड़ कय ऩछू ा, तफ उसने सच्ची फात फता

दी।

याजा ने दसू यी याजकुभायी से ऩछू ा - "तम्ुहाये दाने कहाॉहैं?"

दसू यी याजकुभायी अऩनी सदॊ कू ची भेंसे भखभर के खोरवारी डडब्फी उठा राइ, जजसभेंउसनेगेहूॉके

दाने सहेज र यखे थे। याजा ने उसे खोरकय देखा - दाने सड़ गए थे।

तीसयी याजकुभायी से ऩछू ा - "तभु ने क्मा ककमा उन दानों का?"

तीसयी ने कहा - भैंइसका उत्तय आऩको अबी नहीॊ दॉगू ी, क्मोंकक जवाफ ऩाने के लरए आऩको महाॉसे

दयू जाना ऩड़ेगा औय भैंवहाॉआऩको कर रे चरॉगू ी।"

याजा ने अफ चौथी औय सफसे छोिी याजकुभायी से ऩछू ा। उसने उसी फेऩयवाही सेजवाफ टदमा- "उन

दानों की कोई कीभत हैवऩता जी? वैसेतो ढेयों दाने बॊडाय भेंऩड़े हैं। आऩ तो जानते हैंन, भझु ेगेहूॉ

के बनु े दाने फहुत अच्छे रगते हैं, सो भैंउन्हेंबनु वाकय खा गई। आऩ बी वऩताजी, ककन-ककन

चक्कयों भेंऩड़ जाते हैं।"

सबी के उत्तय से याजा को फड़ी ननयाशा हुई। चायों भेंसे अफ उसे के वर तीसयी फेिी से ही थोड़ी

उम्भीद थी।

दसू ये टदन तीसयी याजकुभायी याजा के ऩास आई। उसनेकहा- "चलरए वऩता जी, आऩको भैंटदखाऊॉ कक

गेहूॉके वे दाने कहाॉहैं?"

याजा यथ ऩय सवाय हो गमा। यथ भहर, नगय ऩाय कयके खेत की तयप फढ़ चरा। याजा ने ऩछू ा,

"आखखय कहाॉयख छोड़े हैंतभु ने वे सौ दाने? इन सौ दानों के लरए तभु भझु ेकहाॉ-कहाॉके चक्कय

रगवाओगी?"

तफ तक यथ एक फड़े-से हये-बये खेत के साभनेआकय रुक गमा। याजा ने देखा-साभने फहुत फड़े खेत

भेंगेहूॉकी पसर थी। उसकी फालरमाॉहवा भेंझूभ यही थीॊ, जैसे याजा को कोई ख़ुशी बया गीत सनू ा

यही हों। याजा ने हैयानी से याजकुभायी की ओय देखा। याजकुभायी ने कहा - "वऩता जी, मे हैंवे सौ

दाने, जो आज राखो-राख दानों के रऩ भेंआऩके साभने हैं। भैंने उन सौ को फोकय इतनी

अधधक पसर तैमाय की है।"

याजा ने उसेगरे रगा लरमा औय कहा- "अफ भैंननज्चॊत हो गमा। तभु ही भेये याज्म की सच्ची

उत्तयाधधकायी हो।"

ऩरयचम :

इस कहानी भेंफतामा गमा हैकक कोई बी कामय के सपर होने के लरए सझू -फझु , सभम का औय

सॊसाधनों का सदऩुमोग औय मोग्म मोजना की आव्मकता होती हैं। ऐसा कयने ऩय ही उत्तभ ऩरयणाभ

की प्राजतत होती हैं। कहानी के याजा ने याज्म का उत्तयाधधकायी चुनने के लरए चायों ऩत्रुिमों की

फवुिभता की ऩयीऺा री औय उस ऩयीऺा भेंसपर हुई याजकुभायी को याज्म का उत्तयाधधकायी फनाने

का ननणयम लरमा।

शब्दाथय

खोर - आवयण। उम्भीद - आशा। भखभर - एक प्रकाय का फटढ़मा येशभी कऩड़ा।

तननक - थोड़ा। याजऩाि - याजगद्दी। उम्भीद - आशा।

भकसद - उद्दे्म। उत्तयाधधकायी - वारयस। सझना ू - ध्मान भेंआना।

य - स ड़ र - र म स - स

र - ऱ र ऱय - , सम ऱ

भहुावये औय अथय

गरे रगाना - तमाय सेलभरना। चक्कय भेंऩड़ जाना - दवुवधा भेंऩड़ना।

व्माकयण

* यचना के आधाय ऩय ववलबन्न प्रकाय के तीन - तीन वाक्म ऩाठों से ढूॉढ़कय लरखखए।

उत्तय :

१) सयर वाक्म

१ - ऩाॉच सार फाद याजा ने चायों फहनों को फरु ामा।

२ - अफ भझु ेअऩनेककए ऩय ऩछतावा हुआ।

३ - कबी हया बया ऩेड़ भत कािो।

२) लभश्र वाक्म

१ - भनष्ुम भेंजो घणृ ा है, वह ऩशत्ुव की ननशानी है।

२ - भैंसोच भेंऩड़ गई क्मोंकक भेया काभ तो ऩणु े भेंहै।

Similar questions