"परोपकार ही जीवन है" इस विषय पर निबंध लिखिए|
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परोपकार ही जीवन है, असली मनुष्य वही है, जो दूसरों के लिए जीता है। अपने लिए तो पशु-पक्षी भी जीते है। ये बात विवेकानंद नगर में सोहम आश्रम में आयोजित सत्संग समारोह को संबोधित करते हुए स्वामी रामस्वरूप महाराज ने कही। उन्होंने कहा कि विद्या और ज्ञान जितना बांटो, उतनी ही इसमें वृद्धि होती है। प्रत्येक व्यक्ति को चाहिए कि वह उच्च शिक्षा ग्रहण करे और जो ज्ञान उसे मिला है, उसको दूसरे लोगों में बांटे। उन्होंने कहा कि ज्ञान को पास रखने से उसमें वृद्धि नहीं होती बल्कि ज्ञान को दूसरे लोगों में बांटने से कुछ नया सीखने को मिलता है।
उन्होंने कहा कि प्रत्येक मनुष्य को दूसरों के लिए जीना चाहिए। पशु पक्षी सभी अपने लिए जीते हैं। मनुष्य ही ऐसा है, जो अपने लिए तथा दूसरों के लिए जीता है। असहाय लोगों को रोजगार देकर पुण्य का भागी बने। उन्होंने कहा कि मनुष्य के पास आज समय का अभाव है, जिसके चलते उसका सारा जीवन इसी प्रकार से व्यतीत हो जाता है। आज मनुष्य अधिक धन कमाने की लालसा मन में पाले हुए है। मनुष्य को चाहिए कि वह अपनी स्वार्थ पूर्ति को त्यागकर गरीब लोगों की मदद के लिए आगे आए।