'परोपकार ही जीवन है' विषय पर एक अनुच्छेद लिखिए।
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परोपकार शब्द ‘पर और उपकार’ शब्दों से मिल कर बना है जिसका अर्थ है दूसरों पर किया जाने वाला उपकार। ऐसा उपकार जिसमें कोई अपना स्वार्थ न हो उसे परोपकार कहते हैं। परोपकार को सबसे बड़ा धर्म कहा गया है और करुणा, सेवा सब परोपकार के ही पर्यायवाची हैं। जब किसी व्यक्ति के अन्दर करुणा का भाव होता है तो वो परोपकारी भी होता है।
परोपकार से बढ़ के कुछ नहीं है और हमे दूसरों को भी प्रेरित करना चाहिए की वे बढ़-चढ़ कर दूसरों की मदद करें। आप चाहें तो अनाथ आश्रम जा के वहां के बच्चों को शिक्षा दे सकते हैं या अपनी तनख्वा का कुछ हिस्सा गरीबों में बाँट सकते हैं। परोपकार अथाह होता है और इसका कोई अंत नहीं है इस लिये यह न सोचें की केवल पैसे से ही आप किसी की मदद कर सकते हैं। बच्चों में शुरू से यह अदत विकिसित करनी चाहिए। बच्चों को विनम्र बनायें जिससे परोपकार की भावना स्वतः उनमें आये। एक विनम्र व्यक्ति अपने जीवन में बहुत आगे जाता है और मानवता को समाज में जीवित रखता है।
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