परोपकार ही सच्छी मनुष्यता है सिद्ध कीजिए।
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किसी भी व्यक्ति को अपने जीवन में परोपकारी बनने चाहिए यह एक ऐसी भावना है जो शायद कोई भी शिक्षा नहीं कर सकता, यह किसी के भीतर खुद आता है।] परोपकार मानवता का दूसरा नाम है और हमे बढ़ चढ़ कर इस क्रिया में भाग लेना चाहिए।
किसी भी व्यक्ति को अपने जीवन में परोपकारी बनने चाहिए यह एक ऐसी भावना है जो शायद कोई भी शिक्षा नहीं कर सकता, यह किसी के भीतर खुद आता है।] परोपकार मानवता का दूसरा नाम है और हमे बढ़ चढ़ कर इस क्रिया में भाग लेना चाहिए।कहते हैं की मनुष्य जीवन हमे इस लिये मिलता है ताकि हम दूसरों की मदद कर सकें। हमारा जन्म सार्थक तब कहलाता है जब हम अपनी बुद्धि, विवेक, कमाई या बल की सहायता से दूसरों की मदद करते हैं। जरुरी नहीं की जिसके पास पैसा हो या जो अमीर हो वही केवल दान दे सकता है। एक साधारण व्यक्ति भी किसी की मदद अपनी बुद्धि के बल पर कर सकता है। सब समय-समय की बात है, की कब किसकी आवश्यकता पड़ रही है। अर्थात जब कोई आवश्यकता मंद हमारे सामने हो तो हमें जो भी बन पाए हम उसके लिए करें। यह एक जरूरतमंद जानवर भी हो सकता है और मनुष्य भी।
किसी भी व्यक्ति को अपने जीवन में परोपकारी बनने चाहिए यह एक ऐसी भावना है जो शायद कोई भी शिक्षा नहीं कर सकता, यह किसी के भीतर खुद आता है।] परोपकार मानवता का दूसरा नाम है और हमे बढ़ चढ़ कर इस क्रिया में भाग लेना चाहिए।कहते हैं की मनुष्य जीवन हमे इस लिये मिलता है ताकि हम दूसरों की मदद कर सकें। हमारा जन्म सार्थक तब कहलाता है जब हम अपनी बुद्धि, विवेक, कमाई या बल की सहायता से दूसरों की मदद करते हैं। जरुरी नहीं की जिसके पास पैसा हो या जो अमीर हो वही केवल दान दे सकता है। एक साधारण व्यक्ति भी किसी की मदद अपनी बुद्धि के बल पर कर सकता है। सब समय-समय की बात है, की कब किसकी आवश्यकता पड़ रही है। अर्थात जब कोई आवश्यकता मंद हमारे सामने हो तो हमें जो भी बन पाए हम उसके लिए करें। यह एक जरूरतमंद जानवर भी हो सकता है और मनुष्य भी।