परोपकार के विषय पर लगभग 200-250 शब्दों में निबंध लिखिए।
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परोपकार करने से मन और आत्मा को बहुत शांति मिलती है। परोपकार से भाईचारे की भावना और विश्व-बंधुत्व की भावना भी बढती है। मनुष्य को जो सुख का अनुभव गरबों की मदद करने में होता है, वह किसी और काम को करने से नहीं होता है। जो व्यक्ति दूसरों के सुख के लिए जीते हैं, उनका जीवन प्रसन्नता और सुख से भर जाता है।
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परोपकार पर निबंध (Paropkar Essay In Hindi)
प्रस्तावना
समाज में परोपकार से बढकर कोई धर्म नहीं होता, यह ऐसा काम है जिसके द्वारा शत्रु भी मित्र बन जाता है।यदि शत्रु पर विपत्ति के समय उपकार किया जाए ,तो वह सच्चा मित्र बन जाता है| विज्ञान ने आज इतनी उन्नति कर ली है कि मरने के बाद भी हमारी नेत्र ज्योति और अन्य कई अंग किसी अन्य व्यक्ति के जीवन को बचाने का काम कर सकते है।
इनका जीवन रहते ही दान कर देना महान उपकार है। परोपकार के द्वारा ईश्वर की समीपता प्राप्त होती है। मानव जीवन में इसका बहुत महत्व होता है। ईश्वर ने प्रकृति की रचना इस तरह से की है कि आज तक परोपकार उसके मूल में ही काम कर रहा है। परोपकार प्रकृति के कण-कण में समाया हुआ है।
जिस तरह से वृक्ष कभी भी अपना फल नहीं खाता, नदी अपना पानी नहीं पीती, सूर्य हमें रोशनी देकर चला जाता है, उसी प्रकार से प्रकृति अपना सर्वस्व हमको दे देती है। वह हमें इतना कुछ देती है लेकिन बदले में हमसे कुछ भी नहीं लेती।
किसी भी व्यक्ति की पहचान परोपकार से की जाती है। जो व्यक्ति परोपकार के लिए अपना सब कुछ त्याग देता है वह अच्छा व्यक्ति होता है। जिस समाज में दूसरों की सहायता करने की भावना जितनी अधिक होगी, वह समाज उतना ही सुखी और समृद्ध होगा। यह भावना मनुष्य का एक स्वाभाविक गुण होता है।
परोपकार का अर्थ
परोपकार दो शब्दों से मिलकर बना है, पर + उपकार। इसका का अर्थ होता है दूसरों का अच्छा करना और दूसरों की सहयता करना। किसी की मदद करना ही परोपकार कहा जाता है।
परोपकार की भावना ही मनुष्यों को पशुओं से अलग करती है, नहीं तो भोजन और नींद तो पशुओं में भी मनुष्य की तरह पाई जाती हैं। अच्छा कर्म करने वालों का न यहां और ना ही परलोक में विनाश होता है।
अच्छा कर्म करने वाला दुर्गति को प्राप्त नहीं होता है। दुसरो की मदद करने वाला सच्चा वही व्यक्ति है, जो प्रतिफल की भावना न रखते हुए मदद करता है। मनुष्य होने के नाते हमारा यह नैतिक कर्तव्य बन जाता है कि हम सब मनुष्यता का परिचय दें। मनुष्य ही मनुष्यता की रक्षा कर सकता है। इस कार्य के लिए कोई दूसरा नहीं आ सकता।
परोपकार का महत्व
जीवन में परोपकार का बहुत महत्व है। समाज में परोपकार से बढकर कोई धर्म नहीं होता। ईश्वर ने प्रकृति की रचना इस तरह से की है कि आज तक परोपकार उसके मूल में ही काम कर रही है।
परोपकार प्रकृति के कण-कण में समाया हुआ है। जिस तरह से वृक्ष कभी भी अपना फल नहीं खाता है, नदी अपना पानी नहीं पीती है, सूर्य हमें रोशनी देकर चला जाता है। परोपकार एक उत्तम आदर्श का प्रतीक है। पर पीड़ा के समान कुछ भी का अधम एवं निष्कृष्ट नहीं है।
भारतीय संस्कृति का मूलाधार व जीवन का आदर्श
जो व्यक्ति परोपकारी होता है उसका जीवन आदर्श माना जाता है। उसका मन हमेशा शांत रहता है। उसे समाज में हमेशा यश और सम्मान मिलता है। भारतीय संस्कृति की भावना का मूलाधार परोपकार है। दया, प्रेम, अनुराग, करुणा, एवं सहानुभूति आदि के मूल में परोपकार की भावना है।
हमारे बहुत से ऐसे महान पुरुष थे, जिन्हें परोपकार की वजह से समाज से यश और सम्मान प्राप्त हुआ था। महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, जवाहरलाल नेहरू तथा लाल बहादुर शास्त्री का नाम बड़े आदर के साथ लिया जाता है। इन महापुरुषों ने मनुष्य जाती की भलाई के लिए अपने घर परिवार का त्याग कर दिया था।