परोपकार पर निबंध लिखिए|
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अठारहों पुराणों महाभारतकार महाकवि व्यास के दो ही सार-वचन हैं – परोपकार से पुण्य होता है और परपीड़न से पाप। सचमुच उनके ये वचन बड़े हीं मूल्यवान और विलक्षण हैं। परोपकार अर्थात दूसरों की निस्वार्थ भलाई से बढ़कर मनुष्य जीवन की और कोई सार्थकता क्या हो सकती ह? केवल अपने लिए तो नालियों के कीड़े मकोड़े भी जी लेते हैं, किंतु मनुष्य वही है जो मनुष्य के लिए चीता और मरता है।
यदि हम आंखें खोलकर देखें तो प्रकृति के स्वर्ण पत्रों पर परोपकार की अनगिनत कहानियां अंकित पाएंगे। धरती सब कष्ट सकती है और हमारे लिए चंदन का पालना ही नहीं बनाती, वरन माता की भांति पालन- पोषण भी करती है। सूरज स्वयं दिन भर तपता रहता है और सारे संसार मैं उष्मा, प्रकाश एवं नव जीवन का संचार करता है। चांद रात भर जागता है और हमें चांदनी की सौगात देता है। बादल अपने प्राणों में न मालूम कितनी बिजलियों की तड़प छिपाएं रहता है फिर भी सारे संसार को जलदान द्वारा संतृप्त एवं संजीवित करता है। प्रियतम सागर से मिलने हांफती-दौड़ती सरिताएं जाती हैं लेकिन फिर भी वे मुक्तहस्त आमंत्रण लुटाती चलती है- आओ, हमारा जीवन तुम्हारे लिए, केवल तुम्हारे लिए है। रसाल पादप रसीले फलों से जब लद जाता है तब वह झुक कर उन्हें मिटाने के लिए लालायित रहता है। हरसिंगार जब फूलों से सज जाता है हर दिशा को गंधपूरित कर देता है।
अतः प्रत्येक मानव का कर्तव्य है कि वह परोपकार के लिए सर्वस्व निछावर कर दे। हो सकता है इसके लिए काटो की राह पर चलना पड़े, किंतु घबराने की आवश्यकता नहीं है कपास तो अनेकानेक कष्ट झेलती है और हमारी लाज हीं नहीं बचाती, वरण गर्मी और सर्दी से हमारी रक्षा भी करती है महर्षि दधीचि और राजा शिवि की कथाओं से क्या हम परिचित नहीं है? महर्षि दधीचि ने देवताओं के कल्याण के लिए अपनी हड्डियां तक दे डाली और राजा शिवि? उन्होंने तो एक कबूतर की जान बचाने के लिए अपना अंग तक काटकर दे दिया। अतः परोपकार के मार्ग में आए हुए कांटो से भयभीत नहीं होना है। गोस्वामी तुलसीदास ने ठीक ही कहा है-
भूषण भनिति भूति भलि सोई।
सुरसरि सम सब कर हित होई।।
भूखों को अन, नगों को वस्त्र, बीमारों को सेवा-शुश्रषा- औषध और अज्ञों को ज्ञान देकर हम विभिन्न प्रकार से उपकार कर सकते हैं परोपकार का स्वर्ण सुअवसर जब भी हमारे सामने आए, हमें उससे कभी ना चुकना चाहिए। हम यदि यश प्रतिष्ठा, धन वैभव और सुख शांति प्राप्त करना चाहते हैं तो परोपकार के मार्ग पर चलना हमारा परमधर्म समझें।
☺ HOPE IT HELPS YOU ☺
THANKS....
अठारहों पुराणों महाभारतकार महाकवि व्यास के दो ही सार-वचन हैं – परोपकार से पुण्य होता है और परपीड़न से पाप। सचमुच उनके ये वचन बड़े हीं मूल्यवान और विलक्षण हैं। परोपकार अर्थात दूसरों की निस्वार्थ भलाई से बढ़कर मनुष्य जीवन की और कोई सार्थकता क्या हो सकती ह? केवल अपने लिए तो नालियों के कीड़े मकोड़े भी जी लेते हैं, किंतु मनुष्य वही है जो मनुष्य के लिए चीता और मरता है।
यदि हम आंखें खोलकर देखें तो प्रकृति के स्वर्ण पत्रों पर परोपकार की अनगिनत कहानियां अंकित पाएंगे। धरती सब कष्ट सकती है और हमारे लिए चंदन का पालना ही नहीं बनाती, वरन माता की भांति पालन- पोषण भी करती है। सूरज स्वयं दिन भर तपता रहता है और सारे संसार मैं उष्मा, प्रकाश एवं नव जीवन का संचार करता है। चांद रात भर जागता है और हमें चांदनी की सौगात देता है। बादल अपने प्राणों में न मालूम कितनी बिजलियों की तड़प छिपाएं रहता है फिर भी सारे संसार को जलदान द्वारा संतृप्त एवं संजीवित करता है। प्रियतम सागर से मिलने हांफती-दौड़ती सरिताएं जाती हैं लेकिन फिर भी वे मुक्तहस्त आमंत्रण लुटाती चलती है- आओ, हमारा जीवन तुम्हारे लिए, केवल तुम्हारे लिए है। रसाल पादप रसीले फलों से जब लद जाता है तब वह झुक कर उन्हें मिटाने के लिए लालायित रहता है। हरसिंगार जब फूलों से सज जाता है हर दिशा को गंधपूरित कर देता है।
अतः प्रत्येक मानव का कर्तव्य है कि वह परोपकार के लिए सर्वस्व निछावर कर दे। हो सकता है इसके लिए काटो की राह पर चलना पड़े, किंतु घबराने की आवश्यकता नहीं है कपास तो अनेकानेक कष्ट झेलती है और हमारी लाज हीं नहीं बचाती, वरण गर्मी और सर्दी से हमारी रक्षा भी करती है महर्षि दधीचि और राजा शिवि की कथाओं से क्या हम परिचित नहीं है? महर्षि दधीचि ने देवताओं के कल्याण के लिए अपनी हड्डियां तक दे डाली और राजा शिवि? उन्होंने तो एक कबूतर की जान बचाने के लिए अपना अंग तक काटकर दे दिया। अतः परोपकार के मार्ग में आए हुए कांटो से भयभीत नहीं होना है। गोस्वामी तुलसीदास ने ठीक ही कहा है-
भूषण भनिति भूति भलि सोई।
सुरसरि सम सब कर हित होई।।
भूखों को अन, नगों को वस्त्र, बीमारों को सेवा-शुश्रषा- औषध और अज्ञों को ज्ञान देकर हम विभिन्न प्रकार से उपकार कर सकते हैं परोपकार का स्वर्ण सुअवसर जब भी हमारे सामने आए, हमें उससे कभी ना चुकना चाहिए। हम यदि यश प्रतिष्ठा, धन वैभव और सुख शांति प्राप्त करना चाहते हैं तो परोपकार के मार्ग पर चलना हमारा परमधर्म समझें।
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ria113:
thanks
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धर्मार्थ सबसे महान कार्यों में से एक है जो एक आदमी अपने जीवन में कर सकता है। विभिन्न धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, धरती पर हमारा जीवन उद्धार की ओर एक अनन्त यात्रा का एक अस्थायी चरण है। तो, यह संक्षिप्त अवधि हम पृथ्वी पर हैं, जिसे हम जीवन कहते हैं, को किसी उद्देश्य के साथ रहना पड़ता है। कुछ लोगों के लिए जीवन का सही अर्थ देना देने का आनंद होता है.उन्हें दान के कृत्यों में शामिल होने से उनका यह सपना पता चलता है।
एक धर्मार्थ व्यक्ति अपने साथी-प्राणियों से प्यार करता है और उन्हें परेशानी में मदद करना पसंद करता है। वह दूसरों की भावनाओं के प्रति बहुत संवेदनशील है। दर्द या दुख की परेशानियों का सामना करते हैं और वह उस दुख को कम करने के लिए अपने स्तर पर सबसे अच्छा प्रयास करते हैं। भिखारियों की दृष्टि, या प्राकृतिक आपदाओं जैसे कि बाढ़, भूकंप आदि के शिकार
आज, दुनिया पहले से कहीं ज्यादा दान की जरूरत है अमीर और गरीब दोनों के बीच की खाई चौड़ी हो रही है। एक तरफ, हमारे पास अरबपति व्यवसायी, खेल सितारों और फिल्म सितारे हैं। दूसरी तरफ हमारे पास लाखों रोगग्रस्त और भूखे पुरुषों, महिलाओं और बच्चों के लिए एक मूसल अनाज का उन्हें जीवित रखना होगा। यदि सभी अमीर लोगों और यहां तक कि जो लोग अच्छी तरह से अच्छी तरह से पैसे, भोजन, कपड़े या सहानुभूति के मामले में कुछ योगदान देते हैं, तो दुनिया निश्चित रूप से बेहतर होगी।
इसमें कोई तथ्य नहीं है कि अमीरों के वर्गों ने हमेशा गरीबों के उत्थान के लिए योगदान दिया है। कई बड़े निगमों, धर्मार्थ ट्रस्टों और समाज गरीबी उन्मूलन, खाद्य आपूर्ति, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्रों में अच्छा योगदान देते हैं। हाल ही में दो सबसे अमीर ग्रह के लोग, माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स और निवेशक वॉरेन बफेट ने दान की शेर के दान को दान करने की घोषणा की। उन्होंने दुनिया भर के साथी अरबपतियों को उनसे अनुकरण करने के लिए भी दान करने की घोषणा की। इसने एक लहर प्रभाव पड़ा है जिसका लाभ हो रहा है दुनिया भर में देखा
एक धर्मार्थ व्यक्ति अपने साथी-प्राणियों से प्यार करता है और उन्हें परेशानी में मदद करना पसंद करता है। वह दूसरों की भावनाओं के प्रति बहुत संवेदनशील है। दर्द या दुख की परेशानियों का सामना करते हैं और वह उस दुख को कम करने के लिए अपने स्तर पर सबसे अच्छा प्रयास करते हैं। भिखारियों की दृष्टि, या प्राकृतिक आपदाओं जैसे कि बाढ़, भूकंप आदि के शिकार
आज, दुनिया पहले से कहीं ज्यादा दान की जरूरत है अमीर और गरीब दोनों के बीच की खाई चौड़ी हो रही है। एक तरफ, हमारे पास अरबपति व्यवसायी, खेल सितारों और फिल्म सितारे हैं। दूसरी तरफ हमारे पास लाखों रोगग्रस्त और भूखे पुरुषों, महिलाओं और बच्चों के लिए एक मूसल अनाज का उन्हें जीवित रखना होगा। यदि सभी अमीर लोगों और यहां तक कि जो लोग अच्छी तरह से अच्छी तरह से पैसे, भोजन, कपड़े या सहानुभूति के मामले में कुछ योगदान देते हैं, तो दुनिया निश्चित रूप से बेहतर होगी।
इसमें कोई तथ्य नहीं है कि अमीरों के वर्गों ने हमेशा गरीबों के उत्थान के लिए योगदान दिया है। कई बड़े निगमों, धर्मार्थ ट्रस्टों और समाज गरीबी उन्मूलन, खाद्य आपूर्ति, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्रों में अच्छा योगदान देते हैं। हाल ही में दो सबसे अमीर ग्रह के लोग, माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स और निवेशक वॉरेन बफेट ने दान की शेर के दान को दान करने की घोषणा की। उन्होंने दुनिया भर के साथी अरबपतियों को उनसे अनुकरण करने के लिए भी दान करने की घोषणा की। इसने एक लहर प्रभाव पड़ा है जिसका लाभ हो रहा है दुनिया भर में देखा
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