Hindi, asked by parinmahajan03, 5 hours ago

परोपकार से बढ़कर और कोई पुण्य नहीं है। वेदों और उपनिषदों में भी यही कहा गया है। भारतीय संस्कृति परोपकार के लिए जानी जाती है। महर्षि दधीचि ने वृत्रासुर से रक्षा करने के लिए देवताओं को अपनी अस्थियाँ दान में दे दी थीं। राजा शिवि ने कबूतर की रक्षा के लिए बाज को अपना माँस काटकर खिलाया। देश को स्वतंत्र कराने के लिए हजारों भारतीयों ने अपने प्राण त्याग दिए थे। दूसरों के कष्टों को अपना कर देखिए। कष्ट में किसी का सहारा बनकर देखिए। दु:खी व्यक्ति के दु:ख दूर हो जाने पर, उसके मुख पर आई मुस्कान के कारण यदि आप हैं तो आप से महान और कोई नहीं है। प्रश्न: (i) वेदों और उपनिषदों में क्या कहा गया है? (ii) दूसरों के लिए किस-किसने बलिदान दिए? (iii) महान कौन है? (iv) भारतीय संस्कृति किस के लिए जानी जाती है ? (v) गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए।

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Answered by vengateshabirami99
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