परोपकारी व्यक्ति के गुण पर अनुच्छेद्
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परोपकारी व्यक्ति के गुण पर अनुच्छेद
परोपकारी व्यक्ति एक सहृदय स्वभाव का व्यक्ति होता है। इसका दिल बड़ा ही कोमल होता है। परोपकारी व्यक्ति सदैव दूसरों की भलाई की कामना करता है और दूसरों के हित बारे में सोचा करता है। वह जहां कहीं भी किसी भी दुखी व्यक्ति को देखता है या किसी जरूरतमंद को देखता है तो है, परंतु उसकी सहायता को तत्पर हो जाता है। वो दूसरों की सहायता में ही अपने जीवन की सार्थकता समझता है। बहुत से परोपकारी व्यक्ति धार्मिक प्रवृत्ति के होते हैं। जोकि अक्सर धर्म-कर्म की दृष्टि से भी परोपकार के कार्य करते हैं। धर्म और परोपकार का गहरा संबंध है और हर धर्म परोपकार की शिक्षा देता है। इसी कारण धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्तियों की सोच होती है कि परोपकार करने से पुण्य की प्राप्ति होगी।
ये आवश्यक नहीं कि परोपकार केवल धर्म के नजरिए से किया जाए। बहुत से व्यक्ति बहुत धार्मिक प्रवृत्ति के ना होकर भी परोपकार का कार्य करने से जरा भी नहीं चूकते। इसलिए परोपकार के लिए धार्मिक होना आवश्यक नहीं। लेकिन परोपकार के लिये संवेदशील होना आवश्यक है, दयालु होना आवश्यक है, कोमल दिल वाला होना आवश्यक है। ऐसे गुणों से युक्त व्यक्ति ही परोपकारी बन सकता है।
परोपकार - एक अमूल्य और दुर्लभ गुण |
Explanation:
कहने में हर कोई कह देता हैं की, जरूरत पड़ने पर वह किसी की मदद अवश्य ही करेगा परंतु ऐसे सच्चे व्यक्ति बहुत ही कम इस पृथ्वी पर मौजूद हैं जो की सच में जरूरत के समय हमारी मदद करते हैं | इन व्यक्तियों को ढूँढना बहुत ही मुश्किल हैं क्योंकि परोपकार का गुण हर किसी के पास नहीं होता हैं |
एक परोपकारी व्यक्ति के दिल में भले ही कई दुख एक साथ उफान पर हों, परंतु बाहर से वह दूसरों के लिए खुश रहता है और उनकी मदद भी करता हैं | निःस्वार्थ से परोपकार करना हर किसी की बात नहीं हैं | इसमें बड़े-बड़े त्याग और कुर्बानी करनी पड़ती हैं | परोपकार जैसी दुर्लभ गुण इंसानियत की एक मौलिक निव हैं |