परंपरा बनाम आधुनिकता पाठ के लेखक कौन है
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सन्दर्भ : प्रस्तुत गद्यांश 'परम्परा बनाम आधुनिकता' शीर्षक निबन्ध से लिया गया है। इसके लेखक डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी हैं।
Answer:
प्रस्तुत गद्यांश 'परम्परा बनाम आधुनिकता' शीर्षक निबन्ध से लिया गया है। इसके लेखक डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी हैं।
Explanation:
Step : 1 प्रसंग :
इस अंश में लेखक ने परम्परा का अर्थ बताया है।
Step : 2व्याख्या :
लेखक हजारी प्रसाद द्विवेदी जी कहते हैं कि हमने अपने से पूर्व की पीढ़ी से जो कुछ भी प्राप्त किया है, वह सम्पूर्ण बीते हुए काल की एकत्रित विचार राशि नहीं है। सृष्टि का यह नियम है कि सदा नये वातावरण के आने पर कुछ पुरानी बातें त्याग दी जाती हैं और कुछ नई बातें जोड़ दी जाती हैं। एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हूबहू पहली पीढ़ी की ही सब बातें प्राप्त नहीं होती हैं। उसमें से कुछ-न-कुछ घटता-बढ़ता रहता है, यदि कुछ छंटता है तो कुछ जुड़ता भी है। इसी निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया को ही परम्परा कहा जाता है।
Step : 3विशेष :
परम्परा कोई नई चीज नहीं है अपितु एक हमेशा चलती हुई प्रक्रिया है।
भाषा भावानुकूल।
(2) इस प्रकार परम्परा का अर्थ विशुद्ध अतीत नहीं है, बल्कि एक निरन्तर गतिशील जीवन प्रक्रिया है। उसमें हमें जो कुछ मिलता है, उस पर खड़े होकर आगे के लिए कदम उठाते हैं। नीति वाक्य में इसी बात को इस प्रकार कहा गया है-‘चलत्येकेम पादेन तिष्ठत्येकेन बुद्धिमान’ अर्थात् बुद्धिमान आदमी एक पैर से खड़ा होता है, दूसरे से चलता है।
कठिन शब्दार्थ :
अतीत = बीता हुआ। गतिशील= हमेशा चलती रहने वाली। जीवन्त = जीवन युक्त।
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