परंपरा का ज्ञान किन के लिए आवश्यक है और क्यों
Answers
Answered by
6
Answer:
प्रादेशिक भाषाओं के साहित्य का थोड़ा बहुत ज्ञान आवश्यक है। भारतीय साहित्य की सामान्य प्रवृत्तियों का विवेचन मेरी अन्य पुस्तक ‘भारतीय साहित्य का इतिहास’ में मिलेगा। (सम्भवता यह पुस्तक अगले वर्ष प्रकाशित हो जायेगी।) प्रस्तुत पुस्तक का सम्बन्ध हिन्दी-प्रदेश से है। इस साहित्य का मूल्याकन करते हुए जो अनेक निबन्ध मैंने समय-समय पर लिखे थे, वे यहां संकलित हैं पहले दो निबन्ध इस पुस्तक में पहली बार प्रकाशित हो रहे हैं। अन्य निबन्ध मेरे उन संग्रहों में आ चुके हैं जो पहली बार बहुत दिनों से अप्राप्य हैं। प्रेमचन्द वाले निबन्ध की सामग्री 1941 में प्रकाशित प्रेमचन्द पर मेरी पहली पुस्तक से ली गयी है। भाषा और साहित्य की परम्पराओं को अलग नहीं किया जा सकता। पुस्तक के कुछ निबन्धों में भाषा और भाषाशास्त्र की परम्परा का विश्लेषण है।
Similar questions