'पर-स्वारथ के काज, शीश आगे धर दीजै पंक्ति का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
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पर-स्वारथ के काज, शीश आगे धर दीजै॥ कह गिरिधर कविराय, बड़ेन की याही बानी। ... प्रस्तुत कुंडली में गिरिधर कविराय ने परोपकार का महत्त्व बताया है। कवि कहते हैं कि जिस प्रकार नाव में पानी बढ़ जाने पर दोनों हाथों से पानी बाहर निकालने का प्रयास करते हैं अन्यथा नाव के डूब जाने का भय रहता है।
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