परिसर को उचित शीर्षक कीजिए
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अपठित बोध
‘अपठित’ शब्द अंग्रेज़ी भाषा के शब्द ‘unseen’ का समानार्थी है। इस शब्द की रचना ‘पाठ’ मूल शब्द में ‘अ’ उपसर्ग और ‘इत’ प्रत्यय जोड़कर बना है। इसका शाब्दिक अर्थ है-‘बिना पढ़ा हुआ।’ अर्थात गद्य या काव्य का ऐसा अंश जिसे पहले न पढ़ा गया हो। परीक्षा में अपठित गद्यांश और काव्यांश पर आधारित प्रश्न पूछे जाते हैं। इस तरह के प्रश्नों को पूछने का उद्देश्य छात्रों की समझ अभिव्यक्ति कौशल और भाषिक योग्यता का परख करना होता है।
अपठित गद्यांश
अपठित गद्यांश प्रश्नपत्र का वह अंश होता है जो पाठ्यक्रम में निर्धारित पुस्तकों से नहीं पूछा जाता है। यह अंश साहित्यिक पुस्तकों पत्र-पत्रिकाओं या समाचार-पत्रों से लिया जाता है। ऐसा गद्यांश भले ही निर्धारित पुस्तकों से हटकर लिया जाता है परंतु उसका स्तर, विषय-वस्तु और भाषा-शैली पाठ्यपुस्तकों जैसी ही होती है।
प्रायः छात्रों को अपठित अंश कठिन लगता है और वे प्रश्नों का सही उत्तर नहीं दे पाते हैं। इसका कारण अभ्यास की कमी है। अपठित गद्यांश को बार-बार हल करने स
भाषा-ज्ञान बढ़ता है।
नए-नए शब्दों, मुहावरों तथा वाक्य रचना का ज्ञान होता है।
शब्द-भंडार में वृद्धि होती है, इससे भाषिक योग्यता बढ़ती है।
प्रसंगानुसार शब्दों के अनेक अर्थ तथा अलग-अलग प्रयोग से परिचित होते हैं।
गद्यांश के मूलभाव को समझकर अपने शब्दों में व्यक्त करने की दक्षता बढ़ती है। इससे हमारे अभिव्यक्ति कौशल में वृद्धि होती है।
भाषिक योग्यता में वृद्धि होती है।
अपठित गद्यांश के प्रश्नों को कैसे हल करें
अपठित गदयांश पर आधारित प्रश्नों को हल करते समय निम्नलिखित तथ्यों का ध्यान रखना चाहिए
गद्यांश को एक बार सरसरी दृष्टि से पढ़ लेना चाहिए।
पहली बार में समझ में न आए अंशों, शब्दों, वाक्यों को गहनतापूर्वक पढ़ना चाहिए।
गद्यांश का मूलभाव अवश्य समझना चाहिए।
यदि कुछ शब्दों के अर्थ अब भी समझ में नहीं आते हों, तो उनका अर्थ गद्यांश के प्रसंग में जानने का प्रयास करना चाहिए। अनुमानित अर्थ को गद्यांश के अर्थ से मिलाने का प्रयास करना चाहिए।
गद्यांश में आए व्याकरण की दृष्टि से कुछ महत्त्वपूर्ण शब्दों को रेखांकित कर लेना चाहिए।
अब प्रश्नों को पढ़कर संभावित उत्तर गद्यांश में खोजने का प्रयास करना चाहिए।
शीर्षक समूचे गद्यांश का प्रतिनिधित्व करता हुआ कम से कम एवं सटीक शब्दों में होना चाहिए।
प्रतीकात्मक शब्दों एवं रेखांकित अंशों की व्याख्या करते समय विशेष ध्यान देना चाहिए।
मूल भाव या संदेश संबंधी प्रश्नों का जवाब पूरे गद्यांश पर आधारित होना चाहिए।
प्रश्नों का उत्तर देते समय यथासंभव अपनी भाषा का ध्यान रखना चाहिए।
उत्तर की भाषा सरल, सुबोध और प्रवाहमयी होनी चाहिए।
प्रश्नों का जवाब गद्यांश पर ही आधारित होना चाहिए, आपके अपने विचार या राय से नहीं।
अति लघूत्तरात्मक तथा लघूत्तरात्मक प्रश्नों के उत्तरों की शब्द सीमा अलग-अलग होती है, इसका विशेष ध्यान रखना चाहिए।
प्रश्नों का जवाब सटीक शब्दों में देना चाहिए, घुमा-फिराकर जवाब देने का प्रयास नहीं करना चाहिए।
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
CBSE Class 9 Hindi B Unseen Passages अपठित गद्यांश -1
प्रश्नः 1.
भारत किस काल को आज भी ललचाई दृष्टि से देखता है?
उत्तर:
भारत वैदिक काल को आज भी ललचाई दृष्टि से देखता है।
प्रश्नः 2.
‘स्वर्णकाल’ का आशय क्या है? इसे किसका काल माना जाता है?
उत्तर:
स्वर्णकाल’ का आशय उस काल से है, जिसमें सभी सुख-शांति से रहते हों तथा आर्थिक, धार्मिक और साहित्यिक उन्नति अपने चरम पर हो। इसे वैदिक आर्यों का काल माना जाता है।
प्रश्नः 3.
बौद्ध काल आज के आधुनिकता आंदोलन के समान क्यों था?
उत्तर:
बौद्ध काल और आधुनिकता आंदोलन की अनेक बातों में समानता थी; जैसे-जाति प्रथा को महत्त्व न देना, मनुष्य को जाति से नहीं बल्कि कर्म के आधार पर श्रेष्ठ या नीच समझना, नारियों को पुरुषों के समान ही अधिकार देना आदि
प्रश्नः 4.
बुद्ध की बातों का प्रभाव किस तरह दृष्टिगोचर होता है?
उत्तर:
आज भी बदध के विचारों से प्रभावित लोग हैं जो जाति प्रथा के विरोधी हैं। वे स्त्रियों को पुरुषों के समान ही मानने के पक्षधर हैं तथा वे मनुष्य की श्रेष्ठता का आधार उसका कर्म मानते हैं। यह बुद्ध की बातों का ही प्रभाव है।
प्रश्नः 5.
संन्यास की संस्था को समाज विरोधिनी क्यों कहा गया है?
उत्तर:
संन्यास की संस्था समाज विरोधी इसलिए है क्योंकि यह समाज के हित के भाव से काम नहीं करती है। यह हर आयु वर्ग के लोगों को उत्पादन कार्यों से हटाकर संन्यासी बनाती है। संन्यासी बनते ही व्यक्ति को समाज और देश की चिंता नहीं रह जाती है।